जंग की आहट और पिज्जा का गहरा कनेक्शन: अमेरिका में फिर दिखा पुराना पैटर्न
जब भी अमेरिका पर संकट के बादल मंडराने लगते हैं या युद्ध की आहट सुनाई देती है, तब एक बेहद अजीब लेकिन लगातार दोहराया गया पैटर्न सामने आता है – व्हाइट हाउस और पेंटागन के आस-पास स्थित पिज्जा आउटलेट्स में अचानक बिक्री बढ़ जाती है।
यह सुनने में भले ही अटपटा लगे, लेकिन 1990 के दशक से लेकर अब तक ऐसे कई मौके आए हैं जब संकट और पिज्जा की मांग के बीच संबंध देखने को मिला है। हाल ही की एक घटना इस बात को फिर से साबित करती है।

कुछ दिनों पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई दिनों तक सार्वजनिक तौर पर दिखाई नहीं दिए। इसी दौरान सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलने लगीं कि “Trump Is Dead” यानी ट्रंप की मृत्यु हो चुकी है। यह अफवाह इतनी तेजी से फैली कि ट्विटर (अब X) और रेडिट जैसे प्लेटफॉर्म पर यह ट्रेंड करने लगी।
लेकिन दिलचस्प बात यह रही कि इसी समय वॉशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस और पेंटागन के आसपास मौजूद पिज्जा आउटलेट्स में अचानक भीड़ बढ़ गई। कई पिज्जा डिलीवरी एजेंसियों ने भी बताया कि उस दिन ऑर्डर में सामान्य दिनों की तुलना में करीब 30 से 40% तक की वृद्धि हुई।
ऐसा क्यों होता है?
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कोई संयोग नहीं, बल्कि एक अनकहा संकेत होता है। जब भी सरकार, सुरक्षा एजेंसियां या मीडिया को किसी गंभीर स्थिति या तनाव की भनक लगती है, तो वर्किंग स्टाफ—जैसे कि सैन्य रणनीतिकार, एनालिस्ट, और सरकारी कर्मचारी—लंबे समय तक ऑफिस में रुकते हैं, जिससे उन्हें फास्ट फूड, खासकर पिज्जा, की आवश्यकता होती है।
ऐसे ही कुछ उदाहरण:
- 1991 खाड़ी युद्ध के दौरान भी पिज्जा की डिमांड अचानक बढ़ गई थी।
- 1998 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया के दौरान भी व्हाइट हाउस के पास यही पैटर्न देखा गया था।
- 9/11 हमलों के दिन और उसके बाद कई हफ्तों तक पेंटागन के पास पिज्जा ऑर्डर की मात्रा दोगुनी हो गई थी।
संकट या तैयारी का संकेत?
इस पैटर्न को कुछ लोग “Silent Indicator of Military Movement” भी मानते हैं। जब टॉप-लेवल मीटिंग्स देर रात तक चलती हैं, या सुरक्षा एजेंसियां किसी बड़े निर्णय के मुहाने पर होती हैं, तो खाने की जरूरतों को देखते हुए पिज्जा जैसे क्विक फूड्स का सहारा लिया जाता है।

हाल की “Trump Is Dead” अफवाह के समय यह गतिविधि देखी गई, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि कोई युद्ध तय है। यह महज एक संकेत है कि कहीं कुछ बड़ी हलचल चल रही है – शायद तैयारी, चिंता या रणनीति।