पुणे में गुइलेन बैरे सिंड्रोम (GBS) का खतरनाक प्रकोप सामने आ रहा है, जिससे अब तक 101 मामले सामने आ चुके हैं और एक संदिग्ध मौत का मामला भी सामने आया है। हालांकि गुइलेन बैरे सिंड्रोम (GBS) को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन प्रसव के दौरान उचित एंटीबायोटिक्स (GBS का इलाज) से नवजात बच्चों को इस संक्रमण से बचाया जा सकता है। महाराष्ट्र सरकार ने जनता से अपील की है कि जीबीएस के लक्षण दिखने पर घबराएं नहीं और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

जीबीएस क्या है? गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ और खतरनाक स्थिति है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से अपनी ही नसों पर हमला करता है। यह स्थिति किसी बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के बाद उत्पन्न होती है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, लकवा, और कभी-कभी जीवन के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

लक्षणों की पहचान: GBS के सामान्य लक्षणों में पैर और हाथों में अचानक कमजोरी, चलने में परेशानी, और मांसपेशियों में सुन्नापन शामिल हैं। इसके अलावा निगलने और सांस लेने में भी कठिनाई हो सकती है।

GBS के कारण: गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का कारण ज्यादातर बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण होते हैं। कैम्पिलोबैक्टर और नोरोवायरस इसके प्रमुख कारण माने जाते हैं। इसके अलावा फ्लू और जीका वायरस भी GBS को ट्रिगर कर सकते हैं।

GBS का इलाज: गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को कम करने के लिए चिकित्सीय उपचार उपलब्ध है।

जोखिम कारक: यह किसी भी व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन 50 वर्ष से ऊपर के लोग और जिनकी इम्यून सिस्टम कमजोर है, उनमें इसका खतरा अधिक होता है।

डॉक्टर से कब संपर्क करें? अगर आपको पैरों में झुनझुनी, कमजोरी, सांस लेने में कठिनाई या निगलने में समस्या हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

सावधानी बरतें: सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे जीबीएस के लक्षणों पर ध्यान दें और समय रहते उपचार कराएं।

(अस्वीकरण: यह लेख सामान्य जानकारी प्रदान करता है, किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। कृपया विशेषज्ञ से परामर्श लें।)

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