बांग्लादेश में पिछले कुछ वर्षों में राजनीतिक और सामाजिक बदलावों ने उसकी स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया है, और इस बदलाव का सीधा असर भारत पर पड़ सकता है। बांग्लादेश का झुकाव अब चीन की ओर बढ़ रहा है, और इस कारण भारत को अपनी सुरक्षा नीति को लेकर अधिक सतर्क और चौकस रहने की आवश्यकता है।

मुहम्मद यूनुस द्वारा सत्ता संभालने के बाद से बांग्लादेश में जो राजनीतिक उथल-पुथल शुरू हुई है, उसने देश की राजनीतिक संरचना को हिला कर रख दिया है। शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हुए छात्र आंदोलन और तख्तापलट ने बांग्लादेश को एक नई दिशा में ढकेल दिया है। शेख हसीना को भागकर भारत आना पड़ा, और बांग्लादेश अब एक ऐसी स्थिति में है जहां आंतरिक अस्थिरता गहरी हो गई है। इस राजनीतिक संकट के बीच बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों का बढ़ना और अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं के उत्पीड़न की घटनाओं की बढ़ती संख्या भारत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।

भारत की सुरक्षा के लिहाज से बांग्लादेश की स्थिति में आए इस बदलाव से कई खतरों का जन्म हो सकता है। सबसे पहले, बांग्लादेश का चीन के करीब जाना भारत के लिए एक रणनीतिक चुनौती बन सकता है। चीन पहले ही बांग्लादेश में बड़ी निवेश परियोजनाओं में भागीदार है, और अब यूनुस की सरकार ने अपनी पहली राजकीय यात्रा के लिए चीन को चुना, जिससे यह संकेत मिलता है कि बांग्लादेश अब चीन के साथ अपनी रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को और मजबूत करने का इरादा रखता है। चीन द्वारा बांग्लादेश में किए गए निवेश और उसकी बढ़ती रणनीतिक उपस्थिति भारत की सुरक्षा पर नकारात्मक असर डाल सकती है, खासकर इस समय जब बांग्लादेश में सुरक्षा के लिहाज से कई नए खतरे पैदा हो रहे हैं।

बांग्लादेश में बढ़ते राजनीतिक और धार्मिक तनाव के कारण यह संभावना बढ़ गई है कि आतंकवादी और मिलिटेंसी समूह इस अस्थिरता का फायदा उठा सकते हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने पहले ही बांग्लादेश में उग्रवादी समूहों को प्रशिक्षण देने की खबरें दी हैं। ऐसे में भारत को अपनी पूर्वी सीमा पर अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा करने की जरूरत है। साथ ही, बांग्लादेश के भीतर चल रहे अस्थिरता के बीच पाकिस्तान और चीन जैसी ताकतों को वहां अपनी पैठ बनाने का मौका मिल सकता है, जो भारत के लिए एक और सुरक्षा चुनौती हो सकती है।

भारत को इस समय बांग्लादेश में किसी भी तरह की राजनीतिक अस्थिरता को लेकर काफी चौकस रहना होगा। भारत को अपनी सीमा पर बढ़ती अवैध घुसपैठ और तस्करी की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखनी होगी। यह सुनिश्चित करना जरूरी होगा कि बांग्लादेश में होने वाली किसी भी तरह की अस्थिरता का भारत पर नकारात्मक असर न पड़े। भारत को बांग्लादेश के सभी राजनीतिक दलों और संगठनों के साथ संपर्क बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सके।

अंत में, यह कहा जा सकता है कि बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति भारत के लिए गंभीर सुरक्षा चिंताओं का कारण बन सकती है। भारत को इस अस्थिरता को लेकर सतर्क रहना होगा, खासकर चीन के साथ बढ़ती बांग्लादेश की साझेदारी को ध्यान में रखते हुए। भारत को अपनी रणनीतिक योजनाओं को पुनः संकलित करने की आवश्यकता है, ताकि वह इस बदलते माहौल में अपनी सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता बनाए रख सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *