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"Pope Francis Passes Away at 88: End of an Era for the Catholic Church"

पोप फ्रांसिस, जो अपने सरल और गरीबों के प्रति गहरी चिंता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध थे, अब हमारे बीच नहीं रहे। 88 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ, और यह दुखद समाचार सोमवार को वेटिकन से घोषित किया गया। वह पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे और पिछले 12 वर्षों तक अपने पवित्र कर्तव्यों का पालन करते हुए उन्होंने दुनियाभर के कैथोलिकों के बीच अपनी पहचान बनाई।

वेटिकन के कार्डिनल केविन फारेल ने वेटिकन के टीवी चैनल पर यह घोषणा करते हुए कहा, “प्रिय भाइयों और बहनों, मुझे गहरे दुख के साथ यह घोषणा करनी है कि हमारे पवित्र पिता फ्रांसिस का निधन हो गया है।” पोप फ्रांसिस का निधन ईस्टर सोमवार को हुआ, जो कैथोलिकों के लिए एक विशेष दिन होता है। इस दिन यीशु मसीह के पुनरुत्थान की याद में समारोह आयोजित किए जाते हैं, और पोप फ्रांसिस का निधन इस दिन को और भी ऐतिहासिक बना गया।

पोप फ्रांसिस का स्वास्थ्य पिछले कुछ महीनों से खराब था। उनका 12 वर्षों का पापल कार्यकाल कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते हुए व्यतीत हुआ। हाल ही में उन्हें डबल निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी से जूझना पड़ा था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हमेशा अपने कर्तव्यों का पालन किया। उनके स्वास्थ्य में गिरावट के बावजूद, पोप फ्रांसिस ने कभी भी अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटे और हमेशा चर्च के विकास और समाज के गरीब वर्गों की भलाई के लिए काम किया।

पोप फ्रांसिस का जन्म अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में 17 दिसंबर 1936 को हुआ था। उनका असली नाम जॉर्जियो मारियो बर्गोलियो था, लेकिन जब उन्हें 2013 में पोप चुना गया, तो उन्होंने ‘फ्रांसिस’ नाम लिया, जो संत फ्रांसिस अस्सीसी के नाम पर था, जो गरीबों और जरूरतमंदों के प्रति अपनी भक्ति के लिए प्रसिद्ध थे। उनका चयन इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, क्योंकि वे पहले लैटिन अमेरिकी पोप बने थे और उनका चुनाव चर्च के अधिक पारंपरिक, यूरोपीय नेतृत्व से एक बड़ी हद तक अलग था।

पोप फ्रांसिस की विशेष पहचान उनके सरल जीवन शैली और गरीबों के प्रति गहरी चिंता से थी। वह अक्सर चर्च की सख्त परंपराओं से बाहर निकलकर उन मुद्दों को उठाते थे, जो समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों से जुड़े होते थे। उन्होंने हमेशा न्याय, समानता और मानवीय अधिकारों की बात की। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने उन्हें न केवल कैथोलिकों के बीच, बल्कि दुनिया भर में एक सम्मानजनक स्थान दिलाया।

उनके निधन से दुनियाभर के कैथोलिक समुदाय में शोक की लहर दौड़ गई है। उनकी अद्वितीय नेतृत्व शैली और गरीबों के प्रति उनके अपार समर्पण ने उन्हें एक प्रेरणा बना दिया था। पोप फ्रांसिस का कार्यकाल चर्च के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय बनकर रहेगा, और उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।

उनकी मौत से कैथोलिक दुनिया में शोक की लहर दौड़ी है, और यह सन्देश दिया है कि पोप फ्रांसिस का जीवन और उनके द्वारा किए गए कार्य हमेशा प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे। उनके कार्यों का असर न केवल धार्मिक जीवन, बल्कि दुनियाभर में सामाजिक और राजनीतिक विचारधारा पर भी पड़ा।

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