नई दिल्ली/अंतरिक्ष स्टेशन:
भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जुड़ गया है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जिन्हें देश ने ‘गगनयात्री’ की उपाधि दी है, आज अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की प्रतिष्ठित ‘कुपोला’ विंडो से पृथ्वी की ओर निहारते मुस्कराते हुए दिखाई दिए। यह क्षण न केवल भारत के लिए गर्व का विषय है, बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में भी एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।

शुभांशु शुक्ला, जिन्हें उनके साथी “शक्स (Shux)” के नाम से बुलाते हैं, ने वहां पहुंचने के बाद से अब तक विज्ञान, प्रौद्योगिकी और वैश्विक जागरूकता से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रयोगों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। उनके कार्यों में न केवल अंतरिक्ष विज्ञान को लेकर शोध शामिल है, बल्कि पृथ्वी पर जीवन की गुणवत्ता सुधारने वाले प्रोजेक्ट्स भी हैं।

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 26 जून को अपने 14-दिवसीय अंतरिक्ष मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचे थे। वे Axiom Space के मिशन का हिस्सा हैं, जिसकी कमान अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन संभाल रही हैं। इस मिशन में अन्य अंतरराष्ट्रीय सदस्य – स्लावोश ‘सुवावे’ उज़्नांस्की-विस्नेव्स्की और तिबोर कापू भी शामिल हैं।

Axiom Space की ओर से जारी बयान के अनुसार, अब तक के नौ दिनों में मिशन दल ने “उत्कृष्ट वैज्ञानिक अनुसंधान, तकनीकी प्रदर्शन और वैश्विक संपर्क” जैसे उद्देश्यों की दिशा में बेहतरीन प्रगति की है। इस मिशन से मिले डाटा और निष्कर्ष भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे अंतरिक्ष में पहला अनुभव साझा करने को कहा, तो शुभांशु शुक्ला ने बेहद भावुक और विचारोत्तेजक उत्तर दिया। उन्होंने कहा:
“अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने पर कोई सीमाएं नहीं दिखतीं। धरती एकजुट नजर आती है।”

उनके इस कथन ने न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण को, बल्कि मानवीय मूल्यों और वैश्विक एकता के भाव को भी उजागर किया। यह अनुभव आज के समय में जब दुनिया सीमाओं, संघर्षों और विभाजनों से जूझ रही है, एक महत्वपूर्ण संदेश देता है – कि हम सब एक हैं, और यह ग्रह हम सबका साझा घर है।

ग्रुप कैप्टन शुक्ला का यह मिशन न केवल भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहा है, बल्कि अगली पीढ़ी के वैज्ञानिकों और युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बन रहा है।

भारत के लिए यह क्षण एक गर्व और उम्मीद का प्रतीक है – जहाँ सपना, विज्ञान और समर्पण मिलकर अंतरिक्ष की ऊँचाइयों तक पहुंचता है।

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