“आपकी अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर देंगे”: अमेरिकी सीनेटर का भारत और चीन के लिए बड़ा ‘रूस’ चेतावनी

ग्राहम ने कहा कि ट्रंप सरकार रूस के व्यापारिक साझेदारों जैसे भारत, चीन और ब्राजील पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने पर विचार कर रही है। इससे इन देशों को रूस से तेल आयात करने में भारी वित्तीय बोझ उठाना पड़ेगा। इस टैरिफ का उद्देश्य रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करना और उसे यूक्रेन के खिलाफ जारी युद्ध को रोकने के लिए मजबूर करना है।

अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने भारत और चीन सहित रूस के व्यापारिक साझेदारों को एक कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर ये देश रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद नहीं करते हैं, तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उनकी अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। ग्राहम ने बताया कि ट्रंप प्रशासन रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर भारी टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है, जो कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच एक अहम कदम माना जा रहा है।

इससे पहले लिंडसे ग्राहम ने एक बिल प्रस्तावित किया था, जिसमें रूस के साथ व्यापार जारी रखने वाले देशों पर 500 प्रतिशत तक के टैरिफ लगाने का प्रावधान था। उनका कहना था कि जो भी देश रूस के साथ व्यापार करता रहेगा, उसे आर्थिक तौर पर बुरी तरह प्रभावित किया जाएगा। ग्राहम ने खासतौर पर भारत, चीन और ब्राजील को चेतावनी देते हुए कहा, “अगर आप लोग सस्ते रूसी तेल की खरीदारी करते रहेंगे और इस युद्ध को जारी रखने देंगे, तो हम आपकी अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर देंगे।”

ग्राहम का यह बयान अमेरिका की रूस के खिलाफ कड़ी आर्थिक नीतियों का हिस्सा है। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते अमेरिका और उसके सहयोगी देश रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा चुके हैं। इन प्रतिबंधों का मकसद रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना और उसे युद्ध समाप्ति की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए मजबूर करना है।

भारत और चीन जैसे बड़े विकासशील देशों के लिए यह चेतावनी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि दोनों देश ऊर्जा की बड़ी मांग रखते हैं और उनका रूसी तेल पर निर्भरता बनी हुई है। विशेष रूप से भारत ने रूस से सस्ते तेल की खरीदारी बढ़ाई है, जिससे उसे वैश्विक तेल बाजार में अपनी लागत कम करने में मदद मिलती है। ऐसे में अमेरिकी टैरिफ की संभावना से भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता पर असर पड़ सकता है।

भारत और चीन दोनों ने अभी तक रूस के साथ अपने व्यापार को लेकर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, लेकिन इस तरह की कड़ी चेतावनी उनके लिए जटिल कूटनीतिक स्थिति पैदा कर सकती है। अमेरिका की यह नीति इस बात का संकेत है कि वह रूस के खिलाफ अपने प्रतिबंधों को और अधिक सख्त करने की दिशा में है और इसे लागू करने के लिए अन्य देशों पर दबाव बढ़ा रहा है।

कुल मिलाकर, अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम की यह चेतावनी भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों के लिए एक बड़ा संकेत है कि अगर वे रूस से तेल खरीदना जारी रखते हैं, तो उन्हें अमेरिकी आर्थिक नीतियों के गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इस प्रकार की सख्त नीतियां वैश्विक ऊर्जा बाजार में नई अनिश्चितताएं पैदा कर सकती हैं और विश्व राजनीति में नए टकरावों को जन्म दे सकती हैं।

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