‘पूरब का ऑक्सफोर्ड’: एक भारतीय विश्वविद्यालय जिसने कई पीढ़ियों के महान नेताओं को जन्म दिया
भारत के राष्ट्रीय नेतृत्व में सदस्यों की भारी संख्या से यह विश्वविद्यालय कई बार उल्लेखनीय रहा है। राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर मुख्य न्यायाधीश तक, एक भारतीय विश्वविद्यालय ने इतने नेताओं को तैयार किया है जितना शायद ही कोई अन्य विश्वविद्यालय कर पाया हो। यह विश्वविद्यालय है – इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जिसे अक्सर ‘पूरब का ऑक्सफोर्ड’ कहा जाता है। इस विश्वविद्यालय ने देश के शीर्ष बुद्धिजीवियों और प्रभावशाली आवाज़ों को गढ़ने का गौरवशाली इतिहास बनाया है।

1887 में स्थापित इलाहाबाद विश्वविद्यालय भारत के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से चौथा है। इससे पहले केवल कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास विश्वविद्यालय ही अस्तित्व में थे। स्थापना के समय से ही यह विश्वविद्यालय शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्र रहा है। समय के साथ, यह विश्वविद्यालय न केवल शिक्षार्थियों के लिए बल्कि समाज और देश के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बन गया।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने साहित्यकारों, कवियों, वैज्ञानिकों, राजनीतिज्ञों और प्रशासकों की ऐसी लंबी श्रृंखला तैयार की है जिन्होंने देश के विकास और उसकी सांस्कृतिक पहचान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यहाँ पढ़े हुए छात्र न केवल अपने ज्ञान से बल्कि अपने नेतृत्व गुणों से भी देश के लिए आदर्श बने। इसकी वजह से इस विश्वविद्यालय को ‘पूरब का ऑक्सफोर्ड’ कहा जाता है, क्योंकि यह ब्रिटेन के मशहूर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की तरह ही भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी हिस्से में उच्च शिक्षा और विचारों का केंद्र रहा है।
इस विश्वविद्यालय की शिक्षा प्रणाली और संसाधन इतने उन्नत और प्रगतिशील थे कि यहां के छात्र आधुनिक भारत की चुनौतियों को समझने और उनके समाधान निकालने में सक्षम बने। स्वतंत्रता संग्राम के समय भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र और शिक्षक देश की आजादी के लिए संघर्ष में अग्रणी रहे। अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने यहां से शिक्षा प्राप्त की और अपने ज्ञान का उपयोग देश की सेवा में किया।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने राजनीति के क्षेत्र में भी कई प्रमुख व्यक्तित्वों को जन्म दिया। भारत के कुछ प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय नेताओं ने इसी विश्वविद्यालय में अध्ययन किया और वहीं से अपने विचारों को परिपक्व किया। यह विश्वविद्यालय छात्रों को न केवल शैक्षणिक ज्ञान देता है बल्कि उन्हें नेतृत्व, नैतिकता और समाज सेवा के लिए भी प्रेरित करता है।
साहित्य और कला के क्षेत्र में भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय का योगदान अतुलनीय रहा है। यहां के कई कवि, लेखक और साहित्यकार भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी साहित्य में अद्भुत कृतियाँ लिखकर देश की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करते रहे हैं। विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में भी इस विश्वविद्यालय ने नई खोजों और अनुसंधान के माध्यम से देश की प्रगति में अहम भूमिका निभाई है।
समाज सेवा और प्रशासनिक कार्यों में भी यहां के विद्यार्थी और पूर्व छात्र हमेशा अग्रणी रहे हैं। कई जज, न्यायाधीश और सरकारी अधिकारी इस विश्वविद्यालय से निकले हैं जिन्होंने न्याय व्यवस्था और प्रशासन को बेहतर बनाने में योगदान दिया है।
अंततः, इलाहाबाद विश्वविद्यालय केवल एक शिक्षा केंद्र नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा संस्थान है जिसने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक महान व्यक्तित्वों को तैयार किया है। इसकी विरासत और परंपरा भारतीय शिक्षा व्यवस्था के लिए एक मिसाल है। ‘पूरब का ऑक्सफोर्ड’ के रूप में यह विश्वविद्यालय आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा और भारत के विकास में अपनी भूमिका निभाता रहेगा।

इस प्रकार, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने न केवल ज्ञान का संचार किया बल्कि भारतीय इतिहास, राजनीति, साहित्य और समाज को एक नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज भी यह विश्वविद्यालय देश के लिए महान नेताओं और विद्वानों को तैयार करने का केंद्र बना हुआ है, जो आने वाले समय में भी भारत को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने का कार्य करेगा।