भोपाल में पत्रकार पर जानलेवा हमला: रिपोर्टिंग से लौटते वक्त हुआ हमला, चाकू और डंडों से किया वार, हत्या की धाराएं नहीं जोड़ने पर उठे सवाल

भोपाल से एक चौंका देने वाली खबर सामने आई है, जहाँ रिपोर्टिंग कर लौट रहे एक पत्रकार पर अज्ञात हमलावरों ने जानलेवा हमला कर दिया। घटना रविवार देर रात की है, जब पत्रकार विशेष कुमार अपने साथी विजय के साथ बाइक पर सवार होकर वापस लौट रहे थे। यह हमला भोपाल के होशंगाबाद रोड पर पारस हरमिटेज के सामने हुआ। इस भयावह घटना ने न केवल पत्रकार सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि पुलिस कार्रवाई पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं।

हमला सुनियोजित था: पहले से घात लगाए बैठे थे हमलावर

घायल पत्रकार विशेष कुमार ने बताया कि वे अपने साथी विजय के साथ बाइक से लौट रहे थे। जब वे नर्मदापुरम रोड पर पहुंचे, तभी 10 से 12 की संख्या में अज्ञात युवकों ने उनकी बाइक के सामने अपनी बाइक अड़ा दी। यह सब इतनी तेजी से हुआ कि उन्हें अचानक ब्रेक लगाना पड़ा और वे गिरते-गिरते बचे।

उन्होंने बताया कि जब वे साइड से निकलने की कोशिश कर रहे थे, तभी हमलावरों ने उन्हें घेर लिया और हमला कर दिया। विशेष के अनुसार, एक युवक ने अचानक उनके सिर पर चाकू से वार किया, जिससे उनके सिर से काफी खून बहने लगा। वहीं उनके साथी विजय पर डंडों से हमला किया गया और दोनों को खींचकर बाइक से नीचे गिरा दिया गया।

हमलावरों ने उन्हें बेरहमी से पीटा, और यह सब कुछ चंद मिनटों में हो गया। हमले के बाद विशेष बेहोश हो गए। गनीमत रही कि वहाँ से गुजर रहे एक पड़ोसी ने हालात को देखा और उनके दोस्तों को सूचना दी, जिसके बाद दोनों को अस्पताल ले जाया गया।

हमलावर फरार, पुलिस की कार्रवाई पर सवाल

इस घटना के बाद जब वहां भीड़ जमा होने लगी, तो हमलावर मौके से फरार हो गए। अस्पताल में भर्ती विशेष ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमलावरों की मंशा उन्हें मार डालने की थी। उन्होंने सिर पर चाकू से वार किया और पत्थर से सिर कुचलने की भी कोशिश की। लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने एफआईआर में हत्या के प्रयास की धारा नहीं जोड़ी।

विशेष ने कहा कि जब सिर पर जानलेवा हमला हुआ है, खून बहा है, और वे बेहोश हो गए, तो यह सामान्य मारपीट नहीं बल्कि जानलेवा हमला है। ऐसे में पुलिस की ढिलाई से हमलावरों को फायदा मिल सकता है।

पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर चिंता

यह कोई पहला मामला नहीं है, जब पत्रकारों को रिपोर्टिंग के दौरान या लौटते वक्त निशाना बनाया गया हो। पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं, लेकिन हर बार ऐसी घटनाएं सामने आकर यह साबित कर देती हैं कि इस दिशा में अभी भी ठोस कदम उठाए जाने की ज़रूरत है।

एक तरफ जहाँ पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में सच्चाई को सामने लाने का प्रयास करते हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्हें ही धमकी, मारपीट और हमले का सामना करना पड़ता है। विशेष कुमार का मामला इस चिंता को और गहरा कर देता है।

पुलिस प्रशासन की भूमिका पर उंगली

इस घटना के बाद पुलिस पर लापरवाही के आरोप लगने लगे हैं। स्थानीय लोगों और पत्रकार समुदाय ने यह सवाल उठाया है कि आखिर इतने गंभीर मामले में धारा 307 (हत्या के प्रयास) क्यों नहीं लगाई गई। कई पत्रकार संगठनों ने भी इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है।

इसके अलावा, सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या यह हमला व्यक्तिगत रंजिश का मामला था, या फिर किसी रिपोर्ट को लेकर हमला किया गया? पुलिस को इस दिशा में भी गंभीरता से जांच करनी चाहिए।

मीडिया संगठनों की प्रतिक्रिया

भोपाल प्रेस क्लब सहित कई स्थानीय पत्रकार संगठनों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने पुलिस से तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग की है और कहा है कि अगर दोषियों को जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया तो वे प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे। साथ ही उन्होंने घायल पत्रकार के परिवार को पर्याप्त सुरक्षा देने की भी मांग की है।

निष्कर्ष

रविवार देर रात हुआ यह हमला पत्रकारों की सुरक्षा, पुलिस की तत्परता और प्रशासन की संवेदनशीलता पर कई सवाल छोड़ गया है। यदि समय रहते पुलिस सख्त कार्रवाई नहीं करती, तो ऐसे हमलों का सिलसिला रुकने की बजाय और बढ़ सकता है।

घायल पत्रकार की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है और उनके साथी विजय को भी चोटें आई हैं। मीडिया जगत और समाज को मिलकर इस तरह की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठानी होगी, ताकि सच्चाई की आवाज दबाने वालों को यह संदेश मिले कि पत्रकारों पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

अगर चाहें तो मैं इसके लिए सोशल मीडिया पोस्ट, हैशटैग्स, या वीडियो स्क्रिप्ट भी बना सकता हूँ दोस्त।

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