भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है। पार्टी के शीर्ष पद पर नई नियुक्ति को लेकर पूरी प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है, लेकिन अब केवल “हरी झंडी” यानी शीर्ष नेतृत्व की अंतिम मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, भाजपा के संगठनात्मक ढांचे के तहत राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया तकनीकी रूप से पूरी हो चुकी है, लेकिन हाल के घटनाक्रमों के कारण इसकी औपचारिक घोषणा में देरी हो रही है।

पार्टी ने पिछले महीने से चार राष्ट्रव्यापी अभियानों की शुरुआत की थी, जिनकी हाल ही में समीक्षा भी की गई। स्थापना दिवस के मौके पर भाजपा ने ‘गांव चलो, बस्ती चलो’ जैसे जनसंपर्क अभियानों के जरिये जमीनी स्तर पर संगठन को और मज़बूत करने का प्रयास किया। इन अभियानों के जरिए भाजपा ने सीधे जनता से संवाद स्थापित करने की कोशिश की, जिससे संगठन की पकड़ और व्यापक हो सके।

इस बीच, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के कारण पार्टी का ध्यान कुछ समय के लिए सुरक्षा और राष्ट्रीय मुद्दों की ओर केंद्रित हो गया, जिससे संगठनात्मक बदलावों की प्रक्रिया थोड़ी धीमी हो गई। हालांकि यह अस्थायी है, और पार्टी सूत्रों के अनुसार, नए अध्यक्ष की नियुक्ति अब ज्यादा दूर नहीं है।

पार्टी संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए कम से कम 18 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव का पूरा होना आवश्यक है। अब तक भाजपा 14 राज्यों में यह प्रक्रिया पूरी कर चुकी है, और शेष राज्यों – विशेष रूप से महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली – में अगले 15 से 20 दिनों के भीतर प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति संभावित है। अन्य 13 राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के नाम पहले ही अंतिम रूप से तय किए जा चुके हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि भाजपा अपने संगठनात्मक चुनाव को चरणबद्ध रूप से और सुव्यवस्थित ढंग से आगे बढ़ा रही है।

दिलचस्प बात यह है कि संभावित चेहरों को लेकर पार्टी के भीतर और बाहर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। कुछ नाम मीडिया और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच चर्चा में हैं, जिनमें वे नेता शामिल हैं जो संगठनात्मक रूप से अनुभवी हैं, राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावशाली माने जाते हैं और पार्टी की विचारधारा को मजबूती से आगे ले जाने की क्षमता रखते हैं।

हालांकि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अभी चुप्पी साधे हुए है, लेकिन संकेत यही हैं कि नई नियुक्ति की घोषणा लोकसभा चुनाव के पहले या बाद में, किसी सटीक राजनीतिक समय पर की जा सकती है, ताकि इसका प्रभाव अधिकतम हो।

संक्षेप में कहा जाए तो भाजपा का संगठनात्मक पहिया तेजी से घूम रहा है। नई नियुक्ति केवल औपचारिक मुहर की दूरी पर है। अब देखना होगा कि शीर्ष नेतृत्व किस चेहरे पर भरोसा जताता है और भाजपा को 2029 तक की दिशा में कौन आगे ले जाएगा।

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