पूर्व मुख्यमंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के वरिष्ठ नेता वी.एस. अच्युतानंदन का सोमवार को तिरुवनंतपुरम के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वे 101 वर्ष के थे। अच्युतानंदन को 23 जून को संदिग्ध हृदयगति रुकने (कार्डियक अरेस्ट) के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था, और वे तब से आईसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। उनके निधन के साथ ही केरल की राजनीति का एक महत्वपूर्ण और संघर्षशील अध्याय समाप्त हो गया।

मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और पार्टी के राज्य सचिव एम.वी. गोविंदन तुरंत अस्पताल पहुंचे और परिवार से मिलकर संवेदना व्यक्त की। अस्पताल के बाहर नेताओं और समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी, जो अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई देने पहुंचे थे। कई वरिष्ठ नेता और विभिन्न दलों के प्रतिनिधि भी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
वी.एस. अच्युतानंदन का राजनीतिक जीवन संघर्ष, ईमानदारी और सिद्धांतों के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने लंबे राजनीतिक करियर में अनेक उतार-चढ़ाव देखे लेकिन हमेशा एक सच्चे मार्क्सवादी और जनता के नेता बने रहे। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में तिरुवनंतपुरम में अपने बेटे और बेटी के साथ समय बिताया, खासकर जब उन्होंने जनवरी 2021 में प्रशासनिक सुधार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
उनका राजनीतिक जीवन 1940 के दशक में ट्रेड यूनियन आंदोलनों से शुरू हुआ। उन्होंने केरल में किसानों, मजदूरों और दलितों के हक के लिए लंबा संघर्ष किया। अच्युतानंदन ने आपातकाल के दौरान जेल भी काटी और पार्टी के अंदर कई बार अकेले खड़े होकर विचारधारा की लड़ाई लड़ी। वह पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और अपनी कट्टर ईमानदारी और पारदर्शिता के लिए विशेष रूप से पहचाने जाते थे।
2001 से 2006 तक उन्होंने केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में भूमिका निभाई। इस दौरान उन्होंने ए.के. एंटनी के नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार के खिलाफ जमकर मोर्चा खोला और जनता से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। वर्ष 2006 में उनके नेतृत्व में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) ने विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की और वह मुख्यमंत्री बने। उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई, भूमि सुधार और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर गंभीर पहल हुई।
हालांकि 2011 के बाद पार्टी के आंतरिक मतभेदों और बढ़ती उम्र के चलते उन्होंने धीरे-धीरे सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली, लेकिन जनता के बीच उनकी लोकप्रियता बनी रही। वे एक प्रतीक बन चुके थे—सच्चे, निडर और जनहित के लिए समर्पित नेता का।
वी.एस. अच्युतानंदन का निधन न केवल मार्क्सवादी आंदोलन के लिए बल्कि पूरे देश की राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने जिस ईमानदारी और निष्ठा के साथ जीवन जिया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आदर्श बनी रहेगी।

उनकी अंतिम यात्रा और राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की तैयारियाँ राज्य सरकार द्वारा की जा रही हैं। केरल ही नहीं, पूरे देश ने आज एक युग पुरुष को खो दिया है।