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“GSEB HSC Result 2025: Banaskantha Tops, Vadodara Lowest in Gujarat 12th Board Results”

गांधीनगर/अहमदाबाद। गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) ने 5 मई 2025 को सुबह 10:30 बजे 12वीं कक्षा (HSC) का बहुप्रतीक्षित परिणाम घोषित कर दिया। इस वर्ष का परिणाम कई मायनों में खास रहा, जहां जनरल स्ट्रीम के छात्रों ने शानदार प्रदर्शन किया वहीं कुछ जिलों में नतीजे चिंताजनक भी रहे।

जनरल स्ट्रीम में टॉप पर बनासकांठा
जनरल स्ट्रीम में कुल 93.7% छात्र सफल घोषित किए गए हैं, जो पिछले सालों की तुलना में एक उल्लेखनीय सुधार माना जा रहा है। इस स्ट्रीम में बनासकांठा जिला सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाला जिला बनकर सामने आया है। बनासकांठा ने रिजल्ट के मामले में न सिर्फ अन्य जिलों को पछाड़ा, बल्कि यह भी दिखाया कि ग्रामीण और सीमावर्ती जिले भी अब शैक्षणिक रूप से आगे बढ़ रहे हैं।

वडोदरा का निराशाजनक प्रदर्शन
जहां एक ओर कुछ जिलों में विद्यार्थियों ने शानदार प्रदर्शन किया, वहीं वडोदरा जिला का परिणाम सबसे खराब रहा। यह चिंता का विषय है क्योंकि वडोदरा जैसे शहरी और शैक्षणिक संसाधनों से समृद्ध जिले से आमतौर पर उच्च प्रदर्शन की अपेक्षा की जाती है। इसके पीछे के कारणों की समीक्षा और आवश्यक सुधार की मांग भी अब उठ रही है।

साइंस स्ट्रीम में 83.51% छात्र हुए पास
अगर बात करें साइंस स्ट्रीम की तो इस साल कुल 83.51 प्रतिशत छात्र पास हुए हैं। यह आंकड़ा पिछले वर्ष के पास प्रतिशत के मुकाबले थोड़ा कम है लेकिन फिर भी संतोषजनक माना जा सकता है। इस स्ट्रीम में मोरबी जिला सबसे आगे रहा है जिसने अन्य जिलों को पीछे छोड़ते हुए टॉप स्थान हासिल किया।

दाहोद में सबसे कम साइंस रिजल्ट
साइंस स्ट्रीम में सबसे कम सफलता दर दाहोद जिले की रही। यह आदिवासी बहुल जिला है और यहाँ के कमजोर रिजल्ट से स्पष्ट है कि अभी भी शिक्षा के क्षेत्र में असमानता मौजूद है। राज्य सरकार को ऐसे जिलों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है जहाँ छात्रों को अतिरिक्त सहायता और संसाधनों की ज़रूरत है।

कुल मिलाकर राज्य भर में मिला संतोषजनक परिणाम
गुजरात राज्य में इस साल के परिणाम संतोषजनक कहे जा सकते हैं। जहाँ जनरल स्ट्रीम के छात्रों ने उम्मीद से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन किया है, वहीं साइंस स्ट्रीम में कुछ जिलों ने औसत से नीचे प्रदर्शन किया है।

शिक्षा विभाग की अगली चुनौती
अब GSEB और राज्य शिक्षा विभाग की अगली जिम्मेदारी है कि कमजोर जिलों में सुधार के लिए ठोस योजनाएं बनाएं। छात्रों के लिए करियर गाइडेंस, अतिरिक्त कोचिंग और मानसिक स्वास्थ्य सहायता जैसे कदम ज़रूरी होंगे ताकि अगली बार कोई जिला पीछे न रहे।

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