संभल जिले के चंदौसी तहसील क्षेत्र में स्थित एक सरकारी तालाब पर बनी अवैध मजार को जिला प्रशासन द्वारा हटाया गया। यह कार्रवाई चंदौसी नगर पालिका की टीम ने की, जो डीएम के आदेश पर की गई थी। यह घटना तब सामने आई जब एक हिंदूवादी नेता ने जिला प्रशासन से शिकायत की थी कि तालाब की भूमि पर समुदाय विशेष द्वारा अवैध रूप से मजार बनाई गई थी और उस पर कब्जा किया गया था।
चंदौसी तहसीलदार धीरेंद्र सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि यह तालाब सार्वजनिक प्रयोजन के लिए था और इसका उपयोग क्षेत्र के जल संरक्षण के लिए किया जाता था। यह तालाब सरकारी संपत्ति थी, लेकिन समुदाय विशेष के द्वारा इस पर अवैध कब्जा किया गया था और वहां मजार बना दी गई थी। शिकायत के बाद, डीएम के निर्देश पर तालाब की भूमि की जांच की गई और पाया गया कि मजार वास्तव में तालाब की भूमि पर बनी हुई थी। इसके बाद, नगर पालिका और प्रशासन ने संयुक्त रूप से मजार को तुरंत हटा दिया, ताकि तालाब का अतिक्रमण मुक्त किया जा सके।
जांच में यह भी सामने आया कि तालाब के पास तंत्र विद्या से जुड़ी गतिविधियाँ चल रही थीं। एक तथाकथित तांत्रिक, मोहम्मद जान, इस स्थान पर आकर तंत्र विद्या की गतिविधियों का आयोजन करता था। एक मिट्टी के ढेर पर हरी चादर डालकर वहां तंत्र विद्या का आयोजन किया जा रहा था। यह मामला पहले भी उठ चुका था, और 2016 में भी इसकी शिकायत की गई थी, लेकिन उस समय प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और शिकायत पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया था।
इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय सनातन संघ द्वारा की गई शिकायत के बाद प्रशासन ने इस पर कार्रवाई की। 2020 में जब सरकारी तालाब की भूमि पर नल लगाने का काम चल रहा था, तब भी इसे हटवाया गया था। इस बार प्रशासन ने इसकी गंभीरता को समझते हुए पूरी तरह से तालाब के ऊपर किए गए अवैध कब्जे को हटाया और इस क्षेत्र को साफ किया।
चंदौसी तहसीलदार ने बताया कि अब तालाब के सौंदर्यीकरण का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसे जिला मजिस्ट्रेट को भेजा जाएगा। इसके बाद तालाब का सौंदर्यीकरण कार्य कराया जाएगा, ताकि यह जल संरक्षण का प्रमुख स्रोत बने और इसके आस-पास की स्थिति भी बेहतर हो।
यह कार्रवाई इस बात को दर्शाती है कि प्रशासन अवैध कब्जों और गलत गतिविधियों के खिलाफ सख्त है और सरकारी संपत्तियों को बचाने के लिए कार्रवाई करने में तत्पर है। इस मामले में हुई कार्रवाई को लेकर स्थानीय लोगों में भी खुशी का माहौल है, क्योंकि अब तालाब की भूमि फिर से सार्वजनिक उपयोग के लिए खुली है और किसी भी प्रकार के अवैध कब्जे से मुक्त हो गई है।
यह घटना प्रशासन के द्वारा सार्वजनिक संपत्तियों की रक्षा करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम साबित हुई है।