हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यदि विपक्षी दल एकजुट नहीं रहते तो INDIA गठबंधन को समाप्त कर देना चाहिए। उनका यह बयान राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है, जिससे आगामी चुनावों में विपक्ष की रणनीति और एकजुटता पर नई बहस छिड़ गई है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले, विपक्षी दलों के INDIA अलायंस को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस ने मिलकर सात सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन कोई भी सीट जीतने में विफल रहे। बीजेपी ने सभी सात सीटों पर जीत हासिल की। इसके बाद, AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने स्पष्ट कर दिया कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में उनका मुकाबला केवल बीजेपी से है और इंडिया अलायंस का कोई स्थान नहीं है। केजरीवाल के इस बयान के बाद, कांग्रेस ने फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उमर अब्दुल्ला का यह बयान विपक्ष की एकता और भविष्य को लेकर चिंता पैदा कर रहा है।

उमर अब्दुल्ला का मानना है कि अगर विपक्ष एकजुट नहीं है, तो INDIA गठबंधन को खत्म कर देना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह बदकिस्मती की बात है कि INDIA ब्लॉक की कोई बैठक नहीं हुई है। नेतृत्व कौन करेगा? एजेंडा क्या होगा? गठबंधन कैसे आगे बढ़ेगा? इन मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हुई है। इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि हम एकजुट रहेंगे या नहीं। इसी वजह से नेतृत्व, एजेंडा या हमारे अस्तित्व के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है। अगर ये गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था, तो इसे अब खत्म ही कर देना चाहिए।”

इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि विपक्ष में एकता की कमी और नेतृत्व की स्पष्टता के कारण, कई राजनीतिक दलों के बीच तनाव है। दिल्ली जैसे प्रमुख राज्य में जहाँ बीजेपी ने 2019 में प्रचंड बहुमत हासिल किया था, वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में भी विपक्ष की स्थिति कमजोर रही। AAP और कांग्रेस के अलग-अलग चुनाव लडऩे की रणनीति ने एक बार फिर से विपक्ष की विभाजित स्थिति को उजागर किया है।

हालांकि, दिल्ली के अलावा भी अन्य राज्यों में INDIA गठबंधन के तहत विपक्ष ने चुनाव लड़ा था। गोवा और गुजरात जैसे राज्यों में भी कांग्रेस और AAP का सहयोग कहीं अधिक हद तक सीमित रहा है। इसका सीधा असर चुनाव परिणामों पर देखा गया है। इन परिस्थितियों के बीच, उमर अब्दुल्ला का यह बयान विपक्षी दलों के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू बन गया है।

विपक्ष में एकता और गठबंधन की स्थिति अब तक अस्पष्ट बनी हुई है। उमर अब्दुल्ला का यह सुझाव कि अगर एकता नहीं होगी तो गठबंधन समाप्त कर देना चाहिए, राजनीति में बदलाव की ओर इशारा कर रहा है। आगे के दिनों में यह देखना होगा कि विपक्ष की रणनीति क्या होगी और क्या वे बीजेपी के खिलाफ एक सशक्त विकल्प बनाने में सफल हो पाएंगे।


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