अंतरिक्ष में अनोखा अनुभव: शुभांशु शुक्ला को मिला दुर्लभ हेयरकट, नहाने का कोई विकल्प नहीं
भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रच दिया है। वे पहले भारतीय बन गए हैं जिन्हें माइक्रोग्रैविटी यानी अंतरिक्ष की गुरुत्वहीन स्थिति में बाल कटवाने का दुर्लभ अनुभव मिला है। यह अनूठा क्षण अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर हुआ, जिसे अब शुक्ला “घर से दूर घर” की तरह मानते हैं।
इस खास हेयरकट का श्रेय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री मेजर निकोल अयर्स को जाता है, जिन्होंने खुद अपने हाथों से शुभांशु का हेयरकट किया। यह कोई आम सैलून नहीं था, न ही साधारण स्थिति। अंतरिक्ष में बाल काटना एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया होती है, क्योंकि वहाँ कटे हुए बाल हवा में तैरते रहते हैं, जिससे उपकरणों को नुकसान या सांस लेने में परेशानी हो सकती है। इसलिए इसमें विशेष वैक्यूम उपकरणों और सावधानी की आवश्यकता होती है।

निकोल अयर्स, जो अमेरिकी वायुसेना में मेजर हैं और अब तक 122 दिन अंतरिक्ष में बिता चुकी हैं, ने इस पूरे अनुभव को हल्के-फुल्के अंदाज़ में साझा किया। उन्होंने मजाक में कहा, “हमने अपने Ax4 मिशन के दोस्तों को विदाई दी। मैं पिछले सप्ताह के हेयरकट्स को याद कर रही थी। लंबे क्वारंटीन के बाद वह समय उन्हें अच्छा लगा होगा। हमने मजाक किया कि शायद पृथ्वी पर लौटने के बाद मैं हेयर स्टाइलिंग का पेशा अपना लूं – लेकिन अब तक कोई रिव्यू नहीं आया है!”
इस मज़ाकिया टिप्पणी के पीछे एक गंभीर सच्चाई छिपी है – अंतरिक्ष यात्रियों को वहां रहकर अपने दैनिक जीवन के लिए नए तरीकों की खोज करनी पड़ती है। नहाने जैसा साधारण कार्य भी अंतरिक्ष में संभव नहीं होता। पानी की कमी और सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के कारण, अंतरिक्ष यात्रियों को स्पंज बाथ लेना होता है, या खास वाइप्स का इस्तेमाल करना पड़ता है।
शुभांशु शुक्ला के लिए यह यात्रा किसी रोमांचक सफर से कम नहीं रही। उनका प्रक्षेपण पहले 29 मई को तय हुआ था, लेकिन तकनीकी कारणों से उड़ान कई बार टली। अंततः 25 जून को वह अंतरिक्ष की ओर रवाना हुए। उससे पहले उन्होंने लगभग 30 दिन क्वारंटीन में बिताए, जो हर अंतरिक्ष मिशन का अनिवार्य हिस्सा होता है।
शुक्ला भारतीय वायु सेना के एक अत्यधिक अनुभवी एयर टेस्ट पायलट हैं और अंतरिक्ष में उनका यह योगदान भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक मील का पत्थर है। बाल कटवाने जैसे छोटे लेकिन प्रतीकात्मक क्षण इस बात का संकेत हैं कि भारतीय अंतरिक्ष यात्री अब न केवल तकनीकी रूप से सक्षम हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सहजता से घुल-मिल भी रहे हैं।

यह घटना न केवल एक दिलचस्प किस्सा है, बल्कि यह भी दिखाती है कि अंतरिक्ष में जीवन कितना जटिल और चुनौतीपूर्ण होता है – जहाँ हर छोटा काम भी विज्ञान, योजना और सहयोग से संभव होता है। शुभांशु शुक्ला का यह अंतरिक्ष हेयरकट आने वाले समय में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की कहानियों में एक खास जगह रखेगा।