बुधवार को दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो की घरेलू उड़ान संख्या 6E-2142 एक बेहद खतरनाक स्थिति से गुज़री, जब विमान अचानक एक शक्तिशाली आंधी और ओलों के तूफान में फंस गया। विमान में 220 से अधिक यात्री सवार थे, जिनमें कुछ संसद सदस्य भी शामिल थे। विमान ने सामान्य से कहीं अधिक दर, यानी 8,500 फीट प्रति मिनट की रफ्तार से ऊँचाई खो दी। सामान्य रूप से किसी यात्री विमान की अवतरण दर 1,500 से 3,000 फीट प्रति मिनट होती है।

घटना के बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने जो प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की है, उसमें बताया गया है कि विमान 36,000 फीट की ऊँचाई पर उड़ रहा था, जब उसने पठानकोट के पास खतरनाक मौसम में प्रवेश किया। यह क्षेत्र भारत और पाकिस्तान की हवाई सीमा के बहुत करीब है। मौसम की गंभीरता को देखते हुए, पायलटों ने भारतीय वायुसेना के उत्तरी नियंत्रण कक्ष से अनुरोध किया कि वे विमान को बाईं दिशा में मोड़ने की अनुमति दें, जिससे विमान कुछ समय के लिए पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर जाता।
हालांकि, यह अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया। इसके बाद विमान को तूफान के बीच से गुजरना पड़ा। विमान में मौजूद पायलटों और क्रू मेंबर्स के अनुसार, जैसे ही विमान तूफान के भीतर पहुंचा, वैसे ही हिंसक टर्बुलेंस शुरू हो गया। भारी ओलों की वजह से विमान के बाहरी हिस्से पर गंभीर असर पड़ा और कॉकपिट के कई अहम सिस्टम्स में खराबी आने लगी। पायलटों को लगातार चेतावनियाँ मिल रही थीं – जैसे ऑटो-पायलट की विफलता, एंटी-आइसिंग सिस्टम में खराबी, और उपकरणों के जवाब न देने जैसी स्थितियाँ।
इन हालात में यात्रियों में घबराहट फैल गई। विमान के अंदर चीख-पुकार मच गई और केबिन क्रू को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। ऐसे तूफानों में विमान की स्थिरता बनाए रखना पायलटों के लिए बेहद कठिन होता है, और जब टेक्नोलॉजिकल सिस्टम भी साथ छोड़ दें, तो स्थिति और भी गंभीर हो जाती है।
DGCA ने बताया कि इस आपात स्थिति से निपटने के लिए पायलटों ने अपनी पूरी ट्रेनिंग और अनुभव का इस्तेमाल किया और किसी प्रकार से विमान को सुरक्षित तरीके से नियंत्रण में रखा। घटना के बाद फ्लाइट की जांच चल रही है और विमान की स्थिति का तकनीकी निरीक्षण किया जा रहा है।
यह घटना एक बार फिर यह दिखाती है कि उड्डयन क्षेत्र में मौसम की अनिश्चितता कितनी घातक हो सकती है, और जब पड़ोसी देशों के साथ समन्वय की कमी होती है तो स्थिति और भी संवेदनशील हो जाती है। यात्रियों की जान बचाना प्राथमिकता होनी चाहिए, चाहे वह किसी भी हवाई सीमा से जुड़ा मामला हो।

फिलहाल, सभी यात्री सुरक्षित हैं, लेकिन इस घटना ने भारत-पाकिस्तान हवाई क्षेत्र संबंधी समन्वय की चुनौती और जरूरत को एक बार फिर उजागर कर दिया है।