मकर संक्रांति: एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्व
मकर संक्रांति का पर्व हर वर्ष विशेष महत्व रखता है। यह पर्व हर साल मकर राशि में सूर्य के गोचर के अवसर पर मनाया जाता है। इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। यह दिन सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक है, जो नए उत्साह, ऊर्जा और सकारात्मकता का संदेश देता है। इस दिन का खास महत्व है गंगा स्नान, सूर्य उपासना और पुण्य कर्मों का। मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और आत्मा को शांति मिलती है।
मकर संक्रांति के दिन ब्रह्म बेला में गंगा स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन पुण्य काल की शुरुआत सुबह 09 बजकर 03 मिनट से शाम के 05 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। इस दौरान स्नान, ध्यान, पूजा, जप और दान का विशेष महत्व है। इस पुण्य समय में किए गए पूजन से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
इस दिन तिल-गुड़ के लड्डू बांटना, जरूरतमंदों को अन्न दान करना जैसे कार्य विशेष फलदायक माने जाते हैं। मकर संक्रांति केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है। इस पर्व पर घरों में विशेष साफ-सफाई की जाती है और नकारात्मकता को दूर करने के लिए गंगाजल का छिड़काव किया जाता है।
इसलिए, मकर संक्रांति का यह पर्व हमें आध्यात्मिक शक्ति और सामाजिक सौहार्द का संदेश देता है। इसे पूरे हर्षोल्लास और धार्मिक भावनाओं के साथ मनाने की परंपरा भारतीय समाज में आज भी जीवित है।