पंजाब सरकार का बड़ा फैसला: पवित्र ग्रंथों की बेअदबी पर आजीवन कारावास का प्रस्तावित कानून पारित
पंजाब की भगवंत मान सरकार ने राज्य में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी की बढ़ती घटनाओं पर सख्त रवैया अपनाते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। पंजाब मंत्रिमंडल ने “पवित्र ग्रंथों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम विधेयक 2025” (Punjab Prevention of Offences Against Holy Scriptures Bill 2025) को मंजूरी दे दी है। यह फैसला मुख्यमंत्री भगवंत मान के आवास पर हुई कैबिनेट बैठक के दौरान लिया गया, जहां राज्य में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए सख्त कार्रवाई की ज़रूरत महसूस की गई।
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि बीते वर्षों में पंजाब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी सहित अन्य धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिन्होंने न केवल राज्य की सांप्रदायिक सौहार्द को प्रभावित किया, बल्कि जनभावनाओं को भी गहरा आघात पहुंचाया। इन घटनाओं के कारण कई बार सामाजिक तनाव और कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ चुकी है।

हालांकि केंद्र सरकार द्वारा लागू किया गया नया भारतीय न्याय संहिता 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita 2023) में इस प्रकार के अपराधों के लिए कुछ प्रावधान मौजूद हैं, लेकिन पंजाब सरकार का मानना है कि मौजूदा दंड पर्याप्त नहीं हैं और इन अपराधों को रोकने के लिए कठोर कानून की आवश्यकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह राज्य-विशिष्ट कानून तैयार किया गया है।
इस नए विधेयक के तहत, अगर कोई व्यक्ति किसी भी पवित्र ग्रंथ की बेअदबी या अपमान करता है, तो उसे आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। यह कानून न केवल श्री गुरु ग्रंथ साहिब, बल्कि भगवद गीता, पवित्र बाइबल, कुरान शरीफ और अन्य धार्मिक ग्रंथों पर भी समान रूप से लागू होगा।
राज्य सरकार का कहना है कि यह कानून समाज में धार्मिक सौहार्द और भाईचारे को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएगा। साथ ही, यह उन असामाजिक तत्वों के लिए कड़ा संदेश होगा, जो धार्मिक भावनाओं को भड़काकर अशांति फैलाना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि “धार्मिक ग्रंथ हमारे समाज की आत्मा हैं। इनका अपमान पूरे समुदाय का अपमान होता है। हम किसी भी हाल में इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह कानून न केवल अपराधियों के लिए चेतावनी है, बल्कि सभी धर्मों का सम्मान बनाए रखने का प्रयास भी है।”
राज्य सरकार की इस पहल को धार्मिक संस्थाओं, सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों का व्यापक समर्थन मिल रहा है। लोगों का कहना है कि यह कानून लंबे समय से आवश्यक था और अब जाकर न्याय की भावना को वास्तविक रूप मिल रहा है।

इस निर्णय के साथ ही पंजाब देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने पवित्र ग्रंथों की बेअदबी पर आजीवन कारावास की सजा का प्रस्तावित कानून पारित किया है। अब यह विधेयक राज्य विधानसभा में पेश किया जाएगा, जहां इसकी औपचारिक मंजूरी के बाद यह कानून के रूप में लागू होगा।