बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। इसके साथ ही पोस्टर वार भी छिड़ गया है, जो अब राज्य की राजनीति में एक नई गर्मी पैदा कर रहा है। हाल ही में पटना में एक पोस्टर के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस पोस्टर में नीतीश कुमार को धोखेबाज और गैर-सीरियस सीएम के रूप में पेश किया गया है। यह पोस्टर आरजेडी (राजद) नेता संजू कोहली द्वारा राबड़ी देवी के आवास के बाहर लगाया गया था।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप

इस पोस्टर में नीतीश कुमार की तस्वीर के साथ लिखा गया था, “तुम तो धोखेबाज हो, वादा करके…. NRC पर हम तुम्हारे साथ नहीं, WAQF पर तो बिल्कुल भी साथ नहीं। वोट लेंगे तुम्हारा, लेकिन साथ नहीं देंगे।” इस पोस्टर में दो प्रमुख मुद्दों – एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) और वक्फ संशोधन बिल – पर नीतीश कुमार को घेरा गया है। आरजेडी ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया है कि उन्होंने चुनाव से पहले जो वादे किए थे, उन्हें निभाने में असफल रहे हैं। एनआरसी और वक्फ संशोधन बिल जैसे संवेदनशील मुद्दों पर नीतीश कुमार की स्थिति पर सवाल उठाए गए हैं। खासकर वक्फ संशोधन बिल के संदर्भ में आरजेडी ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री ने मुसलमानों के हितों की रक्षा करने का वादा किया था, लेकिन अब उनकी नीतियों में पलटी खाई है।

पोस्टर में यह भी कहा गया है कि आरजेडी, नीतीश कुमार को वोट तो दे सकती है, लेकिन उनका साथ नहीं देगी। यह बयान राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह यह दर्शाता है कि राज्य में गठबंधन की राजनीति में गंभीर मतभेद आ गए हैं। ऐसे समय में जब बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारी हो रही है, यह आरोप-प्रत्यारोप सियासी तापमान को और बढ़ा रहे हैं।

सीएम नीतीश कुमार को नॉन सीरियस सीएम बताया गया

इसके पहले, 23 मार्च को भी राबड़ी देवी के आवास के बाहर एक और पोस्टर लगाया गया था, जिसमें नीतीश कुमार को ‘नॉन सीरियस सीएम’ (गंभीर न होने वाले मुख्यमंत्री) बताया गया था। इस पोस्टर में मुख्यमंत्री की तस्वीर के साथ लिखा गया था, “द नॉन सीरियस चीफ मिनिस्टर, जन गण मन अधिनायक जय हे नहीं, कुर्सी कुर्सी कुर्सी कुर्सी जय हे।” इस पोस्टर में स्पष्ट रूप से मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया गया कि वे केवल कुर्सी के लिए काम कर रहे हैं और उनकी प्राथमिकता राज्य के विकास की बजाय अपनी सत्ता को बनाए रखना है। इसके साथ ही यह भी कहा गया कि उनका जन गण मन में विश्वास नहीं है, बल्कि उनका एकमात्र लक्ष्य सत्ता में बने रहना है। यह आरोप मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सियासी शैली और उनके पिछले कार्यकालों पर उठाए गए सवालों को और गहरा करता है।

खलनायक पोस्टर

22 मार्च को भी राबड़ी देवी के आवास के बाहर एक और पोस्टर लगाया गया था, जिसमें नीतीश कुमार को ‘खलनायक’ (विलेन) के रूप में पेश किया गया था। इस पोस्टर में मुख्यमंत्री पर तीखा हमला करते हुए लिखा गया था, “नायक नहीं, जी हां मैं हूं खलनायक। हां, मैंने किया है महिलाओं का अपमान। गांधी जी का किया है अपमान। अब हो गया है राष्ट्रगान का अपमान। जी हां, मैं हूं खलनायक।” इस पोस्टर में नीतीश कुमार पर विभिन्न आरोप लगाए गए हैं, जिनमें महिलाओं का अपमान, गांधी जी का अपमान, और राष्ट्रगान का अपमान शामिल है। यह पोस्टर उस समय के राजनीतिक घटनाक्रमों पर आधारित था जब नीतीश कुमार ने महिला सशक्तिकरण और समाजवाद के मुद्दों पर अपने प्रशासन की नीतियों का प्रचार किया था, लेकिन कुछ घटनाओं और विवादों ने उनके नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं।

इस पोस्टर में नीतीश कुमार की आलोचना केवल उनके राजनीतिक निर्णयों तक सीमित नहीं रही, बल्कि उनके व्यक्तिगत आचरण और उनके प्रशासन की नीतियों पर भी सवाल उठाए गए हैं। यह आरोप उनके समर्थकों के लिए एक चुनौती बन सकते हैं, जबकि उनके विरोधियों के लिए यह एक मजबूत राजनीतिक हथियार बन सकता है।

राजनीतिक रणनीति और आगामी चुनाव

बिहार में पोस्टर वार और आरोप-प्रत्यारोप की यह लड़ाई साफ तौर पर आगामी विधानसभा चुनाव के लिए रणनीतिक रूप से अहम है। यह न केवल नीतीश कुमार के नेतृत्व पर सवाल उठाने का एक तरीका है, बल्कि यह राज्य की राजनीति में आरजेडी और जेडीयू के बीच बढ़ते मतभेदों को भी उजागर करता है। बिहार की राजनीति में गठबंधन की राजनीति का लंबा इतिहास रहा है, और इस बार भी जेडीयू और आरजेडी एक साथ हैं, लेकिन दोनों दलों के बीच की खाई और मतभेद अब खुले तौर पर सामने आने लगे हैं।

आरजेडी द्वारा नीतीश कुमार पर हमले करने से यह भी संकेत मिलता है कि पार्टी विधानसभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने की योजना बना सकती है। पिछले कुछ वर्षों में, खासकर 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के तहत एक साथ काम करने के बावजूद, आरजेडी और जेडीयू के बीच सियासी मतभेद बढ़े हैं। इस बार, दोनों दलों के बीच सुलह की संभावना कम दिख रही है।

निष्कर्ष

बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले जो पोस्टर वार और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल रहा है, वह सियासी लड़ाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। आरजेडी ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्हें धोखेबाज, नॉन सीरियस, और खलनायक तक करार दिया है। यह आरोप उनके प्रशासन की नीतियों और उनके नेतृत्व पर गंभीर सवाल उठाते हैं। चुनावी बयानबाजी के साथ-साथ यह पोस्टर वार बिहार की राजनीति को एक नई दिशा देने वाला है। अगर आरजेडी और जेडीयू के बीच इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी रहा, तो यह आगामी विधानसभा चुनाव में मतदाताओं के सामने एक नई चुनौति पेश कर सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *