अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा टैरिफ (आयात शुल्क) बढ़ाने के फैसले के बाद दुनियाभर के शेयर बाजारों में हड़कंप मच गया है। इस फैसले का सीधा असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा, और जब भारतीय बाजार खुले तो सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट देखने को मिली। 3 फरवरी 2025 को शेयर बाजार खुलते ही निवेशकों के चेहरे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट रूप से दिखाई दीं, क्योंकि बाजार ने एक तगड़ी गिरावट का सामना किया।
अमेरिका के व्यापार नीति के बदलाव और टैरिफ वॉर के संकेतों ने न केवल अमेरिकी बाजारों में दबाव बढ़ाया, बल्कि इसका असर भारतीय बाजार पर भी देखा गया। खासकर उस समय जब भारत में आम बजट 2025 पेश किया गया था, तब निवेशकों को उम्मीद थी कि बजट से बाजार में उत्साह देखने को मिलेगा। मोदी सरकार ने 12 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री करने जैसे बड़े ऐलान किए थे, लेकिन इस फैसले का बाजार पर कोई खास असर नहीं पड़ा। निवेशकों की उम्मीदें पूरी नहीं हुईं, और शेयर बाजार की स्थिति बेहद खराब हो गई।
3 फरवरी को बाजार खुलते ही सेंसेक्स 440 अंक (0.57%) गिरकर 77,060 के स्तर पर आ गया, जबकि निफ्टी भी 162.80 अंक (0.69%) गिरकर 23,320 के आसपास ट्रेड कर रहा था। जैसे-जैसे कारोबारी दिन की शुरुआत हुई, बाजार में और भी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स में 710.70 अंकों (0.92%) की गिरावट आई और वह 76,795.26 पर आ गया। निफ्टी भी 211.75 अंक (0.90%) गिरकर 23,270.40 के स्तर पर ट्रेड करता हुआ नजर आया।
बाजार की शुरुआत में ही बिकवाली का दबाव दिखा और बड़ी कंपनियों के शेयरों में भी भारी गिरावट देखी गई। खासतौर से बैंकिंग, आईटी और ऑटो सेक्टर के शेयरों में गिरावट आई, जो भारतीय शेयर बाजार के लिए चिंताजनक संकेत हैं। आम बजट से कुछ राहत की उम्मीद थी, लेकिन जैसे ही बाजार खुला, निवेशकों को बड़ा झटका लगा।
डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर के चलते वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ गई है। अमेरिका के आयात शुल्क में बदलाव से भारत जैसे विकासशील देशों की कंपनियों और निर्यातकों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। यही कारण है कि विदेशी निवेशकों ने बिकवाली की है और इसके परिणामस्वरूप बाजार पर दबाव बढ़ा है। यदि ट्रंप के फैसले का असर जारी रहता है, तो इसका असर भारतीय बाजारों के साथ-साथ वैश्विक बाजारों पर भी बढ़ सकता है।
वर्तमान स्थिति को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय बाजार में घबराहट का माहौल बना हुआ है। निवेशकों में डर और चिंता साफ देखी जा सकती है, क्योंकि किसी भी अप्रत्याशित बदलाव का असर उनके निवेश पर पड़ सकता है। इस समय बाजार में अनिश्चितता का माहौल है, और ऐसे में निवेशकों को बहुत सतर्क रहने की आवश्यकता है।
आखिरकार, यह स्थिति शेयर बाजार के लिए एक कठिन दौर साबित हो सकती है। लेकिन इस प्रकार की गिरावट के बावजूद, विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारतीय सरकार कोई ठोस कदम उठाती है और निवेशकों को विश्वास दिलाती है, तो बाजार में सुधार की संभावना हो सकती है। हालांकि, फिलहाल वैश्विक व्यापार और अमेरिकी नीति में बदलावों के बीच बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है।