लॉर्ड्स टेस्ट में भारत की हार पर भड़के सुनील गावस्कर: “जडेजा को मौका लेना चाहिए था…”

लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए टेस्ट मैच में एक बेहद रोमांचक लेकिन निराशाजनक मोड़ देखने को मिला। भारतीय टीम के सामने चौथे दिन की शुरुआत में लक्ष्य केवल 135 रनों का था और उनके पास छह विकेट शेष थे। लेकिन जिस तरह से सुबह का पहला सत्र बीता, उसने मैच की दिशा और दशा ही बदल दी। इंग्लैंड के गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजों को पूरी तरह से घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया और एक आसान नजर आ रही जीत को एक बेहद मुश्किल संघर्ष में तब्दील कर दिया।

हालांकि, इस कठिन परिस्थिति में भी एक खिलाड़ी ऐसा था, जिसने मोर्चा संभाला और अंत तक लड़ाई लड़ी — वह थे ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा। जडेजा ने निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ मिलकर हार की ओर बढ़ती टीम इंडिया को कुछ हद तक संभालने की कोशिश की, लेकिन अंत में भारतीय पारी 170 रनों पर सिमट गई और इंग्लैंड ने मैच 64 रनों से जीत लिया।

इंग्लैंड की ओर से कप्तान बेन स्टोक्स और जॉफ्रा आर्चर ने शानदार गेंदबाज़ी करते हुए तीन-तीन विकेट लिए। ब्रायडन कार्स ने दो विकेट झटके और क्रिस वोक्स ने भी अहम मौके पर एक विकेट हासिल कर भारत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

मैच के बाद भारत के पूर्व कप्तान और दिग्गज बल्लेबाज़ सुनील गावस्कर ने भारतीय बल्लेबाजों की रणनीति पर सवाल उठाए। सोनी स्पोर्ट्स पर बातचीत करते हुए गावस्कर ने कहा,

“अगर कोई 60-70 रनों की साझेदारी हो जाती, तो तस्वीर कुछ और हो सकती थी। लेकिन भारत वह साझेदारी बना ही नहीं सका। रविंद्र जडेजा ने अच्छा खेला, लेकिन जब जो रूट और शोएब बशीर गेंदबाज़ी कर रहे थे, तो जडेजा को शायद कुछ मौके लेने चाहिए थे। उन्हें हवा में खेलने की ज़रूरत नहीं थी, लेकिन फिर भी उन्हें पूरे अंक मिलने चाहिए, उन्होंने अकेले दम पर लड़ाई लड़ी।”

सुबह के सत्र में ऋषभ पंत और केएल राहुल जैसे अनुभवी बल्लेबाजों का जल्दी आउट हो जाना भारत के लिए बड़ा झटका साबित हुआ। पंत ने शुरुआत में आर्चर की एक खराब गेंद को चौके के लिए भेजा, लेकिन उनकी तकलीफ देती हुई हाथ की चोट और आर्चर की लगातार तेज़ गेंदें उनके लिए चुनौती बन गईं।

गावस्कर की आलोचना भारतीय बल्लेबाजी की गहराई और संघर्ष क्षमता पर एक सवाल है। एक ऐसा लक्ष्य, जो कागज पर आसान दिख रहा था, वह भारतीय बल्लेबाजों की साझेदारी ना कर पाने और दबाव में गलत फैसलों के चलते एक दुर्गम चुनौती बन गया।

यह हार न केवल तकनीकी स्तर पर बल्कि मानसिक दृढ़ता की परीक्षा भी थी — जिसमें इस बार टीम इंडिया चूक गई।

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