नई दिल्ली:
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नया रक्षा प्रस्ताव पेश करते हुए ‘Golden Dome’ नामक एक उन्नत मिसाइल डिफेंस सिस्टम की घोषणा की है। यह प्रणाली ज़मीन, समुद्र और अंतरिक्ष से अमेरिका (और शायद कनाडा) की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। इस ‘Golden Dome’ की तुलना इज़राइल के प्रसिद्ध ‘Iron Dome’ और भारत के स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम से की जा रही है।

ट्रंप ने इस डिफेंस शील्ड का ऐलान मंगलवार को किया। उन्होंने कहा कि यह अत्याधुनिक प्रणाली बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइल जैसे आधुनिक हवाई खतरों का मुकाबला करने में सक्षम होगी। इस प्रणाली की अनुमानित लागत लगभग 175 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 14.6 लाख करोड़ रुपये) बताई जा रही है। ट्रंप ने दावा किया कि इस सिस्टम में अगली पीढ़ी की तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसे ज़मीन, समुद्र और अंतरिक्ष में तैनात किया जाएगा।

ट्रंप पिछले कुछ हफ्तों से इस ‘Golden Dome’ को लेकर लगातार बयान दे रहे हैं। मार्च 2025 में उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करते हुए कहा था कि अमेरिका को भी इज़राइल जैसी डिफेंस प्रणाली की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा था कि अमेरिका को “दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना” बनाए रखने के लिए इस तरह की तकनीक आवश्यक है।

इज़राइल की ‘Iron Dome’ और भारत का मिसाइल डिफेंस सिस्टम

इज़राइल की ‘Iron Dome’ प्रणाली को दुनिया भर में मिसाइल रक्षा प्रणाली के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता माना जाता है। यह प्रणाली अल्प दूरी की मिसाइलों और रॉकेट हमलों को बीच में ही नष्ट कर देती है। इस प्रणाली की खास बात इसकी सटीकता और त्वरित प्रतिक्रिया है।

भारत भी इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत के पास ‘PAD’ (Prithvi Air Defence) और ‘AAD’ (Advanced Air Defence) जैसी मिसाइल डिफेंस प्रणालियां हैं जो विभिन्न ऊँचाइयों पर आने वाले खतरों को पहचानकर उन्हें नष्ट करने में सक्षम हैं। इसके अलावा, भारत और रूस की साझेदारी से विकसित की गई ‘S-400’ मिसाइल प्रणाली भी भारत की वायु रक्षा क्षमता को मजबूत बनाती है।

ट्रंप का विज़न: अमेरिका के लिए एक अजेय कवच?

ट्रंप का यह प्रस्ताव न केवल अमेरिका की सैन्य नीति को एक नई दिशा देने की कोशिश है, बल्कि यह 2024 के राष्ट्रपति चुनावों में उनके अभियान का भी अहम हिस्सा बन सकता है। उन्होंने कनाडा को भी इस योजना में शामिल करने की बात कही है, हालांकि उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में यह भी जोड़ा कि कनाडा शायद “51वां अमेरिकी राज्य” नहीं बनना चाहेगा।

ट्रंप के अनुसार, यह दुनिया अब पहले से कहीं अधिक खतरनाक हो गई है, और नागरिकों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत और व्यापक रक्षा कवच की आवश्यकता है। उनका मानना है कि अमेरिका को अपनी सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जमीन, हवा और अंतरिक्ष सभी मोर्चों पर तैयार रहना चाहिए।

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप का ‘Golden Dome’ प्रस्ताव वैश्विक रक्षा रणनीति में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। यदि यह योजना साकार होती है, तो अमेरिका विश्व में अपने सैन्य प्रभुत्व को और भी सशक्त रूप में प्रस्तुत कर सकेगा। हालांकि, इसकी लागत, तकनीकी जटिलताएं और राजनीतिक समर्थन की उपलब्धता जैसे पहलुओं पर आने वाले समय में बहस और विश्लेषण ज़रूर होगा।

भारत और इज़राइल जैसे देशों की मिसाइल रक्षा प्रणालियों से प्रेरणा लेते हुए ट्रंप अमेरिका को एक अभेद्य किले में बदलना चाहते हैं — क्या यह सपना हकीकत बनेगा, यह देखना अभी बाकी है।

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