रियाद में आयोजित एक प्रतिष्ठित वैश्विक व्यापार सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से एक असामान्य लेकिन भावनात्मक सवाल पूछकर सबको चौंका दिया – “मोहम्मद, क्या आप रात में सो पाते हैं?”
यह सवाल केवल जिज्ञासा नहीं था, बल्कि एक नेतृत्वकर्ता के संघर्ष और उसकी नीतिगत प्रतिबद्धताओं की गहराई को रेखांकित करने वाला था। ट्रम्प ने यह बात उस समय कही जब वह मंच से क्राउन प्रिंस की जमकर प्रशंसा कर रहे थे। उन्होंने MBS के नेतृत्व में सऊदी अरब के तेजी से व्यापारिक केंद्र के रूप में उभरने की सराहना की और कहा, “क्या काम किया है आपने! आलोचनाओं के बावजूद आपने जो कुछ भी किया, वह अविश्वसनीय है।”

ट्रम्प ने अपने अंदाज़ में आगे कहा, “वो लोग जो रात में करवटें नहीं बदलते, वे आपको कभी भी मंज़िल तक नहीं पहुंचा सकते।” इस वाक्य के माध्यम से उन्होंने यह दर्शाया कि एक सच्चा नेता वही होता है जिसे अपने देश, अपने फैसलों और भविष्य को लेकर बेचैनी होती है — एक ऐसा नेता जो चैन से नहीं सोता, बल्कि हर समस्या का समाधान खोजने में लगा रहता है।
राष्ट्रपति ट्रम्प, जो अपने दूसरे कार्यकाल के पहले बड़े अंतरराष्ट्रीय दौरे पर हैं, ने न केवल सऊदी अरब के साथ ‘करीबी संबंधों’ को दोहराया, बल्कि यह भी घोषणा की कि उन्होंने सीरिया पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने का निर्णय लिया है, और यह निर्णय MBS तथा तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के अनुरोध पर लिया गया है। यह कदम पश्चिम एशिया में अमेरिका की रणनीतिक दिशा में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है।
ट्रम्प ने कहा, “आलोचकों ने सोचा था कि यह असंभव है, लेकिन पिछले आठ वर्षों में सऊदी अरब ने उन्हें पूरी तरह गलत साबित कर दिया है।” उन्होंने मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व को “शानदार” और “दृढ़ निश्चयी” बताया।
उन्होंने मंच से यहां तक कह दिया, “मुझे वह बहुत पसंद हैं। शायद बहुत ज़्यादा।” यह बयान यह दर्शाता है कि ट्रम्प केवल कूटनीतिक शिष्टाचार निभा रहे थे, ऐसा नहीं था, बल्कि MBS के साथ उनका व्यक्तिगत और राजनीतिक रिश्ता भी बेहद करीबी होता जा रहा है।
इस मुलाक़ात ने स्पष्ट कर दिया है कि ट्रम्प प्रशासन पश्चिम एशिया में अपने पुराने रणनीतिक साझेदारों पर दोबारा भरोसा जता रहा है, और अमेरिका सऊदी अरब को न केवल एक आर्थिक शक्ति के रूप में देखता है, बल्कि एक राजनीतिक व भू-रणनीतिक भागीदार के तौर पर भी।

इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्तों में एक नई ऊर्जा का संचार हो रहा है — और यह संबंध केवल तेल और व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राजनीतिक व सैन्य निर्णयों में भी परिलक्षित होगा।