उत्तराखंड राज्य बने आज बीस वर्ष पूरे हो चुके है लेकिन कुछ समस्याएं जस की तस बनी हुयी है जिनके लिए राज्य के शहीदों और मातृ शक्ति ने अपने प्राणों की आहुति दी और प्रदेशवासियों ने भी एक लम्बी लड़ाई लड़ी। लोगों का मानना था कि पृथक उत्तराखंड बनने के बाद यहां का विकास होगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे साथ ही पहाड़ों से पलायन भी रुक पायेगा,परन्तु उनके सपने धरे के धरे रह गए क्योंकि आज भी पहाड़ों से पलायन जारी है। राज्य आंदोलनकारियों में अभी भी टीस है कि उनके सपनो को जिस तरह से पंख लगने चाहिए थे परन्तु वे अभी भी अधूरे है। आंदोलनकारियों का कहना है कि इतने संघर्षों के बाद राज्य बना वही कई सरकारें आयी और गयी लेकिन सभी ने उनकों केवल छला ही है। उनकी कुछ मांगे आज भी अधूरी है आप खुद ही सुनियें इनकी कहानी इनकी जुबानी।

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