सुप्रीम कोर्ट का आदेश: दिल्ली-NCR में सभी वाहनों पर अनिवार्य होगा ईंधन स्टीकर
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में सभी वाहनों पर कलर कोडेड ईंधन स्टीकर को अनिवार्य कर दिया है। यह स्टीकर वाहन की विंडशील्ड पर लगाए जाएंगे, ताकि यह दर्शाया जा सके कि वाहन में किस प्रकार का ईंधन उपयोग किया जा रहा है। इस आदेश के तहत, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जिन वाहनों पर यह स्टीकर नहीं होंगे, उनके लिए पीयूसी (PUC) प्रमाणपत्र, मालिक का हस्तांतरण, पता परिवर्तन, और अन्य सरकारी सुविधाएं प्रदान नहीं की जाएंगी। अदालत ने यह कदम पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के उद्देश्य से उठाया है, ताकि खराब गुणवत्ता वाले ईंधन से जुड़ी समस्याओं को सुलझाया जा सके और प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित किया जा सके।
यह आदेश सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जारी किया, जिसमें कलर कोडेड स्टीकर की अनिवार्यता को लेकर निर्देश जारी किए गए। कोर्ट ने कहा कि अब दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में चलने वाले सभी वाहनों को अपनी विंडशील्ड पर होलोग्राम आधारित स्टीकर लगाना होगा, जो यह बताएगा कि वाहन पेट्रोल, डीजल, सीएनजी या इलेक्ट्रिक (ईवी) पर चल रहा है। यह स्टीकर वाहन के ईंधन प्रकार के आधार पर रंगीन होंगे – पेट्रोल/सीएनजी वाहनों के लिए हल्का नीला रंग, डीजल वाहनों के लिए नारंगी रंग और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए हरा रंग का स्टीकर होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इस कदम को लागू करने के लिए दिल्ली और एनसीआर की राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं कि वे सख्ती से इन नियमों का पालन करवाएं। कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन वाहनों पर यह स्टीकर नहीं होगा, उन्हें पीयूसी प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाएगा और न ही उनके फिटनेस सर्टिफिकेट या अन्य परिवहन सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। इसके साथ ही, ऐसे वाहनों का मालिकाना हक भी नहीं बदला जा सकेगा और उनका पता परिवर्तन भी रोक दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कार्रवाई करने का आदेश देते हुए कहा कि इन आदेशों का पालन न करने वाले वाहनों पर मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 192 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
यह कदम पहले 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रस्तावित किया गया था, लेकिन इसे अनिवार्य नहीं किया गया था और तब तक कोई सख्त प्रावधान भी नहीं था। अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे लागू करने की दिशा में निर्णायक कदम उठाया है। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य यह है कि वाहनों की पहचान की जा सके, जो खराब गुणवत्ता वाले ईंधन का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे वाहनों को उच्च प्रदूषण वाले दिनों में ट्रैफिक से बाहर करने में मदद मिलेगी और प्रदूषण को कम करने में अहम भूमिका निभाई जा सकेगी।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से प्रदूषण नियंत्रण में मदद मिलेगी और यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सभी वाहन अपनी फिटनेस और ईंधन के मानकों के अनुरूप चल रहे हैं। इससे न केवल प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकेगा, बल्कि वाहनों के सही ईंधन उपयोग की जानकारी भी मिल सकेगी, जिससे पर्यावरण को लाभ होगा।
इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यह आदेश 1 अप्रैल 2019 के बाद खरीदी गई सभी गाड़ियों पर लागू होगा, और इन नियमों का पालन नहीं करने वाले वाहनों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।