परशुराम द्वादशी एक पावन तिथि है, जो भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम को समर्पित है। हिंदू धर्म में परशुराम को एक शक्ति और न्याय के प्रतीक के रूप में माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में धर्म, सत्य, साहस और न्याय को अपनाना चाहते हैं।

परशुराम जी के प्रमुख कार्य और योगदान
भगवान परशुराम को उनकी शक्ति, भक्ति और कठोर तपस्या के लिए जाना जाता है। उनके जीवन की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ इस प्रकार हैं:
भगवान परशुराम का जन्म और अवतार का उद्देश्य
भगवान परशुराम का जन्म भृगु ऋषि के वंश में हुआ था। उनके पिता महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका थीं। वे भगवान विष्णु के अवतार थे और उनका उद्देश्य पृथ्वी से अन्याय, अधर्म और अत्याचारी क्षत्रियों का नाश करना था। उस समय पृथ्वी पर क्षत्रियों ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर धर्म को नष्ट करने का प्रयास किया। तब भगवान परशुराम ने अपना परशु (फरसा) उठाया और अन्यायी क्षत्रियों का 21 बार संहार किया।
परशुराम द्वादशी का महत्व
माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को परशुराम द्वादशी मनाई जाती है। इस दिन भगवान परशुराम की पूजा करने से भक्तों को अद्भुत बल, पराक्रम और शत्रुनाश की शक्ति प्राप्त होती है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ होता है, जो धर्म और न्याय के मार्ग पर चलकर जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं।
- माता रेणुका की परीक्षा और पुनर्जीवन
एक दिन परशुराम के पिता जमदग्नि ने अपनी पत्नी रेणुका को किसी कारणवश दोषी मान लिया और अपने पुत्रों को उन्हें दंड देने का आदेश दिया। परशुराम के सभी भाई इस आदेश को मानने से इनकार कर गए, लेकिन परशुराम ने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी माता का सिर काट दिया। उनकी आज्ञाकारिता से प्रसन्न होकर उनके पिता ने उन्हें वरदान दिया और उन्होंने अपनी माता को पुनर्जीवित कर दिया। इस घटना से यह संदेश मिलता है कि आज्ञाकारिता और भक्ति के मार्ग पर चलने से असंभव भी संभव हो सकता है। - अत्याचारी क्षत्रियों का 21 बार संहार
उस समय पृथ्वी पर कई क्षत्रिय राजा अपने बल का दुरुपयोग कर रहे थे। उन्होंने ब्राह्मणों, साधुओं और जनता पर अत्याचार करना शुरू कर दिया था। भगवान परशुराम ने अपने परशु (फरसे) से अत्याचारी क्षत्रियों का इक्कीस बार संहार किया और पृथ्वी पर धर्म की पुनः स्थापना की। - भगवान श्रीराम से भेंट
जब भगवान श्रीराम ने जनकपुरी में शिवधनुष तोड़ा, तब भगवान परशुराम वहाँ आए और उनसे क्रोधित होकर युद्ध करने की चेतावनी दी। लेकिन जब उन्होंने श्रीराम के तेज और शक्ति को पहचाना, तो उन्होंने उन्हें सुदर्शन चक्र और अपना परशु प्रदान किया। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि सच्ची शक्ति का सम्मान किया जाना चाहिए। - महादानी कर्ण को दिव्यास्त्र प्रदान करना
भगवान परशुराम ने महाभारत के महान योद्धा कर्ण को दिव्यास्त्र प्रदान किए थे। कर्ण ने उनसे झूठ बोलकर शिक्षा प्राप्त की थी, लेकिन जब परशुराम को यह सच पता चला, तो उन्होंने कर्ण को श्राप दे दिया कि वह सबसे महत्वपूर्ण समय पर अपने दिव्यास्त्रों को भूल जाएगा। - भगवान कृष्ण से मिलन और द्वारका निर्माण में योगदान
भगवान परशुराम ने भगवान श्रीकृष्ण को शस्त्र विद्या सिखाई और उन्हें द्वारका के निर्माण के लिए मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कश्यप ऋषि को संपूर्ण पृथ्वी दान कर दी और स्वयं महेंद्र पर्वत पर तपस्या करने चले गए।
परशुराम द्वादशी पर पूजा विधि
इस दिन भगवान परशुराम की पूजा करने से व्यक्ति को बल, बुद्धि और न्याय का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पूजा विधि इस प्रकार है:
✅ स्नान और संकल्प: प्रातःकाल स्नान करें और भगवान परशुराम की पूजा करने का संकल्प लें।
✅ मूर्ति या चित्र की स्थापना: भगवान परशुराम का चित्र या मूर्ति एक पवित्र स्थान पर स्थापित करें।
✅ पूजन सामग्री: पुष्प, अक्षत (चावल), चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
✅ मंत्र जाप: “ॐ परशुरामाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
✅ परशुराम कथा का पाठ: भगवान परशुराम के जीवन की कथा पढ़ें और सुनें।
✅ दान-पुण्य: ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएं और वस्त्र दान करें।
परशुराम जी से मिलने वाली सीख
भगवान परशुराम का जीवन हमें कई महत्वपूर्ण बातें सिखाता है:

धर्म की रक्षा के लिए शक्ति का प्रयोग आवश्यक है।
शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करने में छल-कपट नहीं करना चाहिए।
अन्याय और अत्याचार का विरोध करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है।
सच्ची भक्ति और समर्पण से असंभव कार्य भी संभव हो सकते हैं।
निष्कर्ष
परशुराम द्वादशी का पर्व हमें शक्ति, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। भगवान परशुराम न केवल ब्राह्मणों में अग्रणी थे, बल्कि वे क्षत्रियों की तरह वीर और पराक्रमी योद्धा भी थे। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को धैर्य, साहस और अपराजेय शक्ति प्राप्त होती है। इस दिन किए गए पुण्य कार्य और दान से जीवन में सुख, समृद्धि और उन्नति प्राप्त होती है।
🚩 “परशुराम जी की कृपा से हमें अपने जीवन में धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की शक्ति मिले!” 🚩