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Uttarakhand STF's Big Reveal: Digital Arrest Gang Mastermind Arrested

उत्तराखंड एसटीएफ साइबर थाना कुमाऊं पुलिस ने साइबर ठगी के एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह का मास्टरमाइंड अमन कुशवाहा को आगरा, उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया गया। यह गैंग व्हाट्सएप और स्काइप कॉल के जरिए लोगों को मनी लॉन्ड्रिंग में फंसाने की धमकी देकर ठगता था। इस गिरोह ने पीड़ित को 18 दिनों तक मानसिक रूप से बंधक बनाकर 47 लाख रुपये की ठगी

यह मामला साइबर ठगी के नए और खतरनाक तरीकों को उजागर करता है। डिजिटल अरेस्ट जैसी धोखाधड़ी से बचने के लिए जागरूक रहना ही सबसे बड़ा बचाव है। यदि आप या आपके किसी जानने वाले के साथ ऐसी कोई घटना हो, तो तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 या नजदीकी पुलिस स्टेशन पर शिकायत दर्ज कराएं।

कैसे होता था डिजिटल अरेस्ट?

साइबर अपराधी पहले व्हाट्सएप या स्काइप कॉल के जरिए पीड़ित से संपर्क करते थे। वे खुद को आरबीआई, सीबीआई या पुलिस अधिकारी बताकर पीड़ित को डराते थे कि उनके आधार कार्ड से फर्जी सिम कार्ड जारी किए गए हैं, जिनका उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग में किया गया है।

  • पीड़ित को वीडियो/ऑडियो कॉल पर धमकाया जाता कि उनके खिलाफ मामला दर्ज होने वाला है।
  • स्काइप पर झूठे सरकारी नोटिस भेजे जाते थे।
  • अपराधी खुद को सरकारी अधिकारी बताकर पीड़ित पर दबाव बनाते थे।

पहला चरण – डर और धमकी:

दूसरा चरण – डिजिटल अरेस्ट:

  • पीड़ित को निर्देश दिया जाता कि वह किसी से संपर्क न करे और केवल स्काइप पर उपलब्ध रहे।
  • कई दिनों तक मानसिक दबाव में रखकर उसे दूसरों से बात करने से रोका जाता था।
  • बार-बार धमकी दी जाती थी कि यदि उसने किसी को बताया तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

तीसरा चरण – ठगी और पैसे ट्रांसफर:

  • अपराधी पीड़ित को अलग-अलग बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करते थे।
  • झूठा आश्वासन दिया जाता कि पैसे ट्रांसफर करने से केस खत्म हो जाएगा।
  • इसी धोखे में पीड़ित ने 47 लाख रुपये साइबर अपराधियों के खातों में जमा कर दिए।

गिरफ्तारी और बरामदगी

उत्तराखंड एसटीएफ की तकनीकी टीम ने डिजिटल सबूत जुटाए और साइबर ट्रेसिंग के माध्यम से अमन कुशवाहा को आगरा से गिरफ्तार किया।

बरामदगी:

  • 1 मोबाइल फोन
  • 1 सिम कार्ड
  • 1 आधार कार्ड

गिरफ्तारी के दौरान यह भी पता चला कि अमन कुशवाहा के बैंक खाते का इस्तेमाल अन्य साइबर ठगी में भी किया गया है।

अन्य राज्यों में दर्ज मामले

इस गैंग के खिलाफ अन्य राज्यों में भी कई मामले दर्ज हैं:

क्रम संख्याशिकायत संख्याराज्यजिलाथाना
122512240023943पंजाबलुधियानामॉडल टाउन
223212240068153पश्चिम बंगालकोलकातासाइबर थाना
333512240021645उत्तराखंडनैनीतालमल्लीताल

पुलिस की अपील – साइबर ठगी से बचें!

उत्तराखंड एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह ने जनता से सतर्क रहने की अपील की है।

कैसे बचें साइबर ठगों से?

अज्ञात कॉल्स से सतर्क रहें:

  • यदि कोई खुद को सरकारी अधिकारी बताकर धमकाए, तो तुरंत पुलिस को सूचना दें।
  • व्हाट्सएप या स्काइप पर कोई सरकारी एजेंसी नोटिस नहीं भेजती।

बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर न करें:

  • यदि कोई पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहे, तो यह ठगी हो सकती है।
  • साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर तुरंत कॉल करें।

फर्जी इन्वेस्टमेंट स्कीम से बचें:

  • साइबर ठग YouTube लाइक और टेलीग्राम इन्वेस्टमेंट स्कीम के नाम पर लोगों को ठगते हैं।
  • कोई भी ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट करने से पहले जांच-पड़ताल करें।

गूगल पर कस्टमर केयर नंबर न खोजें:

  • कंपनियों के आधिकारिक वेबसाइट से ही कस्टमर केयर नंबर लें।
  • गूगल पर दिखने वाले कई नंबर फर्जी होते हैं।

सोशल मीडिया पर सतर्क रहें:

  • अनजान लोगों से दोस्ती करने से बचें।
  • व्यक्तिगत जानकारी सोशल मीडिया पर साझा न करें।

निष्कर्ष
यह मामला साइबर ठगी के नए और खतरनाक तरीकों को उजागर करता है। डिजिटल अरेस्ट जैसी धोखाधड़ी से बचने के लिए जागरूक रहना ही सबसे बड़ा बचाव है। यदि आप या आपके किसी जानने वाले के साथ ऐसी कोई घटना हो, तो तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 या नजदीकी पुलिस स्टेशन पर शिकायत दर्ज कराएं।

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