हरियाणा में हुए नगर निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 10 में से 9 नगर निगमों पर जीत हासिल की। गुरुग्राम और रोहतक सहित कई बड़े शहरों में बीजेपी के मेयर उम्मीदवार विजयी हुए, जबकि कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। खास बात यह रही कि रोहतक, जिसे कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है, वहां भी बीजेपी ने जीत दर्ज की।

2 मार्च को फरीदाबाद, हिसार, रोहतक, करनाल, यमुनानगर, गुरुग्राम और मानेसर समेत सात नगर निगमों में मतदान हुआ था। इसके नतीजे आने के बाद बीजेपी खेमे में जबरदस्त उत्साह देखा गया। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस जीत को जनता का आशीर्वाद बताया और कहा कि यह “ट्रिपल इंजन सरकार” (केंद्र, राज्य और स्थानीय निकाय) की नीतियों पर जनता की मुहर है।

कांग्रेस के लिए बड़ा झटका

हरियाणा में कांग्रेस को लगातार दूसरी बार स्थानीय चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है। रोहतक, जो अब तक कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता था, वहां भी बीजेपी ने जीत दर्ज की। गुरुग्राम में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह परिणाम हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है। विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले इस तरह की हार से कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो सकती है।

बीजेपी की जीत पर नेताओं की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा, “यह जीत जनता का आशीर्वाद है। हरियाणा में डबल इंजन नहीं बल्कि ट्रिपल इंजन सरकार का असर दिख रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत’ के संकल्प को पूरा करने के लिए हमारी सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।”

हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने भी इसे जनता के विश्वास की जीत बताया। उन्होंने कहा कि बीजेपी स्थानीय निकायों के माध्यम से विकास को और गति देने का काम करेगी।

मानेसर में बागी नेता की जीत

इस चुनाव में केवल एक सीट ऐसी रही जहां बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। मानेसर में बीजेपी के बागी नेता डॉ. इंदरजीत यादव ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। यह बीजेपी के लिए एक झटका जरूर है, लेकिन पूरे राज्य में पार्टी का प्रदर्शन बेहद शानदार रहा।

आगामी विधानसभा चुनावों पर असर

हरियाणा में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इस जीत से बीजेपी को निश्चित रूप से बढ़त मिलेगी। कांग्रेस के लिए यह हार एक गंभीर चेतावनी है कि अगर वह अपनी रणनीति नहीं बदलती तो उसे विधानसभा चुनावों में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

नगर निकाय चुनावों में बीजेपी की यह बड़ी जीत दिखाती है कि हरियाणा में अभी भी सत्तारूढ़ दल की पकड़ मजबूत है और जनता उसके विकास कार्यों पर विश्वास जता रही है।

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