फ्रांस के एक नेता ने अमेरिका से स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को वापस मांगा, तो व्हाइट हाउस से उन्हें करारा जवाब मिला। यह मामला हाल ही में एक दिलचस्प संवाद के रूप में सामने आया, जब फ्रांस के यूरोपीय संसद के सदस्य राफेल ग्लक्समैन ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में यह मांग की कि अमेरिका को स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को फ्रांस को वापस करना चाहिए। उनके अनुसार, यह स्टैच्यू फ्रांस का उपहार था, लेकिन अमेरिका ने इसका सम्मान नहीं किया है। ग्लक्समैन ने यह भी कहा कि यह मूर्ति अब अमेरिका में खुश नहीं है और उसे फ्रांस वापस भेजा जाना चाहिए।

यह बयान एक अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न कर गया, क्योंकि स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी अमेरिकी स्वतंत्रता और लोकतंत्र का प्रतीक मानी जाती है। यह मूर्ति 1886 में फ्रांस द्वारा अमेरिका को दी गई थी और इसके पीछे का उद्देश्य दोनों देशों के बीच मित्रता और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में इसे स्थापित करना था। हालांकि, ग्लक्समैन का मानना था कि इस प्रतीक का अमेरिका में सही तरीके से सम्मान नहीं हो रहा है, इसलिए उसे वापस फ्रांस भेज दिया जाना चाहिए।

इस मांग के जवाब में, व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेट्री कैरोलिन लेविट ने बड़ी चतुराई से इसका जवाब दिया। एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को फ्रांस को वापस कर देंगे। इस पर मुस्कुराते हुए, कैरोलिन लेविट ने कहा, “बिल्कुल नहीं।” उन्होंने आगे कहा, “मैं उस अनाम, लो-लेवल के फ्रांसीसी राजनेता को यह सलाह देना चाहूंगी कि उन्हें यह याद रखना चाहिए कि अगर अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध में फ्रांस की मदद नहीं करता, तो आज फ्रांस के लोग जर्मन बोल रहे होते।” यह वाक्य स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध में फ्रांस को जर्मनी के खिलाफ सहायता दी थी और अगर अमेरिका नहीं आता, तो आज स्थिति कुछ और होती।

लेविट का बयान इस बात को भी उजागर करता है कि अमेरिका ने फ्रांस के प्रति अपनी मित्रता और समर्थन दिखाया है, और इसलिए फ्रांसीसी नेताओं को अमेरिका के योगदान का सम्मान करना चाहिए। व्हाइट हाउस का यह बयान इस समय की अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक तगड़ा संदेश देता है कि अमेरिका अपने समर्थन के लिए किसी से भी उपेक्षा या अपमान स्वीकार नहीं करेगा।

ग्लक्समैन का यह बयान एक तरफ जहां फ्रांस और अमेरिका के बीच पुराने संबंधों को फिर से खंगालने का एक मौका प्रदान करता है, वहीं दूसरी तरफ व्हाइट हाउस का जवाब यह भी दिखाता है कि अमेरिका अपनी ऐतिहासिक भूमिका को लेकर काफी गर्वित है और वह अपनी भूमिका को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं करेगा। इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि दोनों देशों के बीच संबंधों में कभी-कभी तीखे और मजाकिया क्षण आते रहते हैं, जो दोनों देशों के बीच मित्रता के पुराने संदर्भों को फिर से ताजगी प्रदान करते हैं।

यह घटना, हालांकि, एक हल्के-फुल्के विवाद के रूप में सामने आई, लेकिन इसने अमेरिका और फ्रांस के बीच के ऐतिहासिक संबंधों की गहरी और महत्वपूर्ण बातों को भी उजागर किया।

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