शिबू सोरेन, पूर्व झारखंड मुख्यमंत्री, का 81 वर्ष की उम्र में निधन – एक युग का अंत
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक सदस्य, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन का आज (4 अगस्त 2025) निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे। वह पिछले एक महीने से दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती थे, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। अस्पताल की ओर से जारी बयान में कहा गया कि वे डॉक्टर ए.के. भल्ला की निगरानी में थे और इलाज के बावजूद उन्होंने आज परिवार की उपस्थिति में अंतिम सांस ली।

शिबू सोरेन के निधन की जानकारी उनके पुत्र और वर्तमान झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की। उन्होंने लिखा – “प्रिय दिशोम गुरुजी हमें छोड़कर चले गए। आज मैंने सब कुछ खो दिया।”
शिबू सोरेन न केवल एक राजनेता थे, बल्कि एक जननेता के रूप में पहचाने जाते थे। उन्हें झारखंड की आत्मा कहा जाता था। उन्होंने झारखंड को एक अलग राज्य का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जन्म रामगढ़ ज़िले (जो उस समय बिहार का हिस्सा था) में संथाल जनजाति समुदाय में हुआ था।
शुरुआती दिनों में उन्होंने वामपंथी ट्रेड यूनियन नेता ए.के. रॉय और बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष किया। इसी कड़ी में उन्होंने वर्ष 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की। JMM ने आदिवासी समाज की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान को मजबूत किया और झारखंड राज्य के गठन की मांग को राष्ट्रीय राजनीति में प्रमुखता से रखा।
लगभग चार दशकों के राजनीतिक जीवन में शिबू सोरेन आठ बार लोकसभा सांसद चुने गए और दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे। वे केंद्र सरकार में कोयला मंत्री भी रह चुके हैं। उन्हें उनके समर्थक ‘दिशोम गुरु’ यानी ‘जनजातीयों के गुरु’ के नाम से सम्मानित करते थे।
उनका जीवन संघर्षों, आंदोलनों और जनहित की राजनीति का प्रतीक रहा है। उन्होंने अपनी राजनीति को हमेशा झारखंड की ज़मीन और जनता से जोड़े रखा। उनकी नेतृत्व क्षमता, दृढ़ संकल्प और आदिवासी हितों के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें झारखंड की राजनीति में एक अमिट स्थान दिलाया।
शिबू सोरेन का निधन झारखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका जाना एक युग के अंत के समान है। वे उन चुनिंदा नेताओं में से थे, जिन्होंने सत्ता को साधन नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम माना।
उनकी यादें, संघर्ष और सिद्धांत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे। झारखंड की मिट्टी ने आज अपना सबसे बड़ा सपूत खो दिया।

ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और परिजनों को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।