“एकतरफा दबाव बढ़ा”: ट्रम्प के शुल्क युद्ध के बीच चीन ने भारत से क्या कहा

गलवान घाटी में पांच साल पहले दोनों देशों की सेनाओं के बीच भयंकर संघर्ष होने के बावजूद, भारत और चीन अब अपने द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने भारत के खिलाफ अपने टैरिफ युद्ध को तेज कर दिया है।
चीनी विदेश मंत्री वांग यी भारत का दौरा कर रहे हैं और उन्होंने कल भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ बैठक की। इस यात्रा को दोनों एशियाई शक्तियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर माना जा रहा है, क्योंकि वे वैश्विक स्तर पर ट्रम्प प्रशासन के टैरिफ युद्ध से पैदा हुए आर्थिक और व्यापारिक उतार-चढ़ाव का सामना करने के लिए अपने संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं।
बैठक में डॉ. जयशंकर ने कहा कि वांग यी का यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने का एक अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा, “हमारे संबंधों में कठिन दौर देखने के बाद, हमारे दोनों देश अब आगे बढ़ने की इच्छा रखते हैं। इसके लिए दोनों पक्षों की ओर से ईमानदार और रचनात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।”
डॉ. जयशंकर ने इस अवसर पर यह भी स्पष्ट किया कि आगे बढ़ने के लिए तीन महत्वपूर्ण सिद्धांतों – पारस्परिक सम्मान, पारस्परिक संवेदनशीलता और पारस्परिक हित – को ध्यान में रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा, “अंतर को विवाद में बदलने या प्रतिस्पर्धा को संघर्ष में बदलने की आवश्यकता नहीं है। हमें सहयोग और संवाद के मार्ग को प्राथमिकता देनी चाहिए।”
बैठक में दोनों पक्षों ने आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों, धार्मिक यात्राओं, जनता के बीच संपर्क, नदी संबंधी डेटा साझा करने, सीमा व्यापार, कनेक्टिविटी और अन्य द्विपक्षीय आदान-प्रदान पर चर्चा करने का निर्णय लिया। इन सभी पहलुओं का उद्देश्य केवल व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाना नहीं है, बल्कि जनता के बीच विश्वास और सहयोग की भावना को भी मजबूत करना है।
वांग यी आज राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के साथ सीमा मुद्दों पर चर्चा करेंगे। डॉ. जयशंकर ने कहा, “यह बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारे संबंधों में किसी भी सकारात्मक प्रगति का आधार सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना है। इसके साथ ही, तनाव कम करने की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ाना आवश्यक है।”
विशेषज्ञों का मानना है कि इस दौर की बातचीत भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने का एक अवसर प्रदान करती है। इसके अलावा, अमेरिका के टैरिफ युद्ध के चलते दोनों देशों को अपने आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को मजबूत करने की जरूरत भी है।
वास्तव में, वांग यी का यह दौरा केवल औपचारिक बातचीत तक सीमित नहीं है। यह दोनों देशों के लिए रणनीतिक साझेदारी को पुनर्जीवित करने, सीमा सुरक्षा सुनिश्चित करने और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस यात्रा से यह संकेत भी मिलते हैं कि भारत और चीन कठिन परिस्थितियों में भी संवाद और सहयोग के रास्ते अपनाने को तैयार हैं।
इस प्रकार, चीन और भारत की यह मुलाकात केवल कूटनीतिक बातचीत नहीं, बल्कि दोनों देशों की भविष्य की आर्थिक और सुरक्षा रणनीतियों को आकार देने वाला एक महत्वपूर्ण पड़ाव बन गई है।
