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"If India Stops Buying Russian Oil, What Next? Moscow’s Big Statement on Trump Tariff"

नई दिल्ली। रूस ने अमेरिका द्वारा भारत पर डाले जा रहे दबाव को अनुचित और एकतरफा करार देते हुए साफ संदेश दिया है कि यदि भारतीय वस्तुओं को अमेरिकी बाज़ार में दिक्कतें आ रही हैं तो रूस अपने बाज़ारों को भारत के लिए और अधिक खोलने को तैयार है। यह बयान बुधवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रूस के उप मिशन प्रमुख (Deputy Chief of Mission) रोमन बाबुश्किन ने दिया।

रोमन बाबुश्किन ने कहा कि अमेरिका जिस तरह से भारत पर रूसी कच्चे तेल की खरीद को लेकर दबाव बना रहा है, वह किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने इसे “अनुचित” और “एकतरफा” कदम बताया। बाबुश्किन ने आगे कहा कि भारत और रूस के बीच ऊर्जा सहयोग कई दशकों से मजबूत रहा है और मौजूदा परिस्थितियों के बावजूद इसमें कोई कमी नहीं आएगी।

उन्होंने कहा, “अगर भारतीय सामानों को अमेरिकी बाज़ार में प्रवेश करने में कठिनाई हो रही है तो रूस का बाज़ार भारतीय निर्यात का स्वागत करेगा।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि रूस-भारत संबंध भरोसे और आपसी समझ पर टिके हैं और दोनों देश बाहरी दबावों से प्रभावित हुए बिना अपने हितों के अनुरूप आगे बढ़ते रहेंगे।

गौरतलब है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अपने बयानों में भारत और अन्य देशों पर टैरिफ लगाने की बात कही थी। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि अगर ट्रंप प्रशासन फिर से सत्ता में आता है तो भारत के निर्यात पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। इसी पृष्ठभूमि में रूस का यह बयान भारत के लिए राहत का संदेश माना जा रहा है।

बाबुश्किन ने यह भी कहा कि प्रतिबंधों का असर उन पर ही पड़ रहा है जो इन्हें लागू कर रहे हैं। पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं, लेकिन रूस ने एशियाई देशों के साथ अपने व्यापारिक और ऊर्जा संबंधों को और अधिक मज़बूत कर लिया है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे देशों के लिए यह साझेदारी न केवल ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करती है बल्कि वैश्विक स्तर पर संतुलन बनाने में भी मदद करती है।

रूस के इस बयान को कूटनीतिक हलकों में भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। भारत वर्तमान समय में दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता देशों में से एक है और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए उसे विभिन्न स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में रूस का यह आश्वासन भारत को रणनीतिक लचीलापन प्रदान करता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका का दबाव निश्चित रूप से भारत के लिए एक चुनौती है, लेकिन भारत की विदेश नीति हमेशा से “रणनीतिक स्वायत्तता” (Strategic Autonomy) पर आधारित रही है। यही कारण है कि भारत ने पहले भी रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखा, भले ही पश्चिमी देशों ने इसका विरोध क्यों न किया हो।

संक्षेप में, रूस ने साफ कर दिया है कि वह भारत के साथ खड़ा रहेगा और उसके निर्यात के लिए दरवाज़े हमेशा खुले रहेंगे। साथ ही उसने यह भी जताया कि ऊर्जा सहयोग और आर्थिक रिश्ते बाहरी दबावों से प्रभावित नहीं होंगे।

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