“अमेरिका-भारत संबंधों को पटरी पर लाना जरूरी”: निक्की हेली की ट्रंप को चीन को लेकर बड़ी चेतावनी

पूर्व अमेरिकी संयुक्त राष्ट्र राजदूत और कांग्रेस की प्रमुख नेता निक्की हेली ने अमेरिका और भारत के बीच हालिया तनाव को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका चीन की बढ़ती वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को रोकने की दिशा में प्रभावी कदम उठाना चाहता है, तो उसे भारत के साथ अपने संबंधों को फिर से सही दिशा में लाना होगा। हेली ने यह बात बुधवार को न्यूज़वीक में प्रकाशित अपने एक ओप-एड में कही।

उन्होंने विशेष रूप से यह रेखांकित किया कि भारत को चीन की तरह किसी प्रतिद्वंद्वी राष्ट्र के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। हेली ने कहा कि ट्रंप प्रशासन को भारत के साथ संबंधों में दरार डालने वाली किसी भी स्थिति—चाहे वह व्यापारिक टैरिफ हों या भारत-पाकिस्तान संघर्ष समाधान में अमेरिकी भूमिका—को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। उनका कहना था कि अमेरिका और भारत, दोनों ही विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक देशों में से हैं, और इनके बीच सहयोग को बनाए रखना अमेरिकी विदेश नीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

वास्तव में, पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिका-भारत संबंधों में काफी तनाव देखा गया। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जो पहले से भारत के सामानों पर लगाए गए 25 प्रतिशत शुल्क के ऊपर था। ये कदम उस समय उठाए गए जब अमेरिका और भारत के बीच कई महीनों से असहमति चल रही थी। इनमें मुख्य विवाद यह था कि भारत ने अमेरिका को भारत-पाकिस्तान संघर्ष समाधान में मध्यस्थ के रूप में स्वीकार नहीं किया।

हेली ने अपनी राय में कहा कि यदि ट्रंप प्रशासन चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करना और “शक्ति के माध्यम से शांति” स्थापित करना चाहता है, तो उसके लिए सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक अमेरिका-भारत संबंधों को सही मार्ग पर वापस लाना है। उन्होंने यह भी कहा कि यह समय बहुत संवेदनशील है और अमेरिका को समझदारी के साथ कदम उठाने की आवश्यकता है। यदि भारत और अमेरिका के बीच संबंध बिगड़ते हैं, तो यह न केवल दोनों देशों के हितों के लिए हानिकारक होगा, बल्कि चीन को वैश्विक मंच पर बढ़त हासिल करने का मौका भी देगा।

हेली का मानना है कि भारत के साथ संबंधों को मजबूत बनाना केवल व्यापार और रक्षा सहयोग तक सीमित नहीं होना चाहिए। इसके पीछे भू-राजनीतिक दृष्टिकोण भी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देश को अमेरिका को विरोधी के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसे एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में स्थापित करना चाहिए। इसके लिए अमेरिका को अपने पूर्ववर्ती निर्णयों और नीतियों की समीक्षा करनी होगी, और दोनों देशों के बीच आपसी भरोसे और समझ को पुनः स्थापित करना होगा।

उनकी चेतावनी स्पष्ट थी—अमेरिका और भारत के बीच संबंधों में दरार और गलतफहमियां किसी भी स्तर पर भविष्य में वैश्विक स्थिरता और रणनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए यह न केवल अमेरिकी विदेश नीति की प्राथमिकता होनी चाहिए, बल्कि इसे चीन की बढ़ती शक्ति के मुकाबले एक निर्णायक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए।

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