‘काला गणपना’ से ‘भारतीय बीजगणित’ तक: स्नातक पाठ्यक्रम में प्राचीन भारतीय गणित को शामिल करने का प्रस्ताव
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने हाल ही में एक नया ड्राफ्ट पाठ्यक्रम तैयार किया है, जिसके तहत स्नातक स्तर की गणित की पढ़ाई में प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया है। इस प्रस्ताव के अनुसार, ‘काला गणपना’ (परंपरागत समय मापन पद्धति), ‘भारतीय बीजगणित’ (Indian Algebra), पुराणों का अध्ययन, ‘सूर्य सिद्धांत’ और ‘आर्यभटीयम’ जैसे ग्रंथों की अवधारणाओं को गणित के पाठ्यक्रम में जोड़ा जाएगा। यह कदम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के अंतर्गत ‘लर्निंग आउटकम्स-बेस्ड करिकुलम फ्रेमवर्क’ (LOCF) के तहत उठाया गया है।

इस प्रस्ताव का उद्देश्य केवल गणित की शिक्षा को तकनीकी ज्ञान तक सीमित न रखकर, उसे भारतीय परंपरा और संस्कृति से जोड़ना है। इस ड्राफ्ट में उल्लेख है कि छात्रों को भारतीय बीजगणित के इतिहास और विकास को जानने का अवसर मिलेगा। साथ ही उन्हें वैदिक गणित की विधियों से भी परिचित कराया जाएगा। उदाहरणस्वरूप, ‘परावर्त्य योजयेत सूत्र’ (Paravartya Yojayet Sutra), जो एक वैदिक गणितीय पद्धति है, का अध्ययन कराया जाएगा। इस सूत्र का अर्थ होता है – “परिवर्तित करें और लागू करें।”
ड्राफ्ट पाठ्यक्रम में केवल गणितीय अवधारणाएं ही नहीं, बल्कि खगोलशास्त्र (astronomy) और पौराणिक कथाओं (mythology) को भी गणित के साथ जोड़ा गया है। इसमें भारत के प्राचीन वेधशालाओं (observatories), उज्जैन की प्राइम मेरीडियन की भूमिका, वैदिक समय मापन इकाइयों जैसे घटी और विघटी की तुलना ग्रिनविच मीन टाइम (GMT) और इंडियन स्टैंडर्ड टाइम (IST) से करने की बात कही गई है।
इसके अलावा छात्रों को पंचांग की गणना (पंचांग निर्माण), मुहूर्तों का निर्धारण (विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए शुभ समय का चयन), और प्राचीन खगोल गणनाओं की जानकारी भी दी जाएगी। इन विषयों को पढ़ाते समय यह भी समझाया जाएगा कि कैसे भारत के ऋषियों और विद्वानों ने समय और संख्याओं की गहराई से समझ विकसित की थी।
यह प्रस्ताव न केवल छात्रों को भारत की समृद्ध गणितीय विरासत से अवगत कराएगा, बल्कि उन्हें यह भी दिखाएगा कि कैसे भारत ने हजारों वर्षों पहले गणित और खगोलशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिए थे। इससे छात्रों की तार्किक क्षमता के साथ-साथ उनकी सांस्कृतिक समझ भी मजबूत होगी।

UGC का यह कदम भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक शिक्षा प्रणाली में स्थान देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो भारतीय विश्वविद्यालयों में गणित की पढ़ाई केवल अंकों और समीकरणों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि वह एक समग्र ज्ञान प्रणाली के रूप में विकसित होगी – जहां पौराणिकता, विज्ञान और सांस्कृतिक विरासत एक साथ पिरोए जाएंगे।