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"How Xi Jinping’s Secret Letter Improved India-China Relations"

“गुप्त” शी जिनपिंग पत्र ने भारत-चीन संबंधों में सुधार की चाबी मानी गई: रिपोर्ट

जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल की शुरुआत में चीन के साथ अपने व्यापार युद्ध को तीव्र किया, तो बीजिंग ने भारत के प्रति एक निजी पहल की। एक ब्लूमबर्ग रिपोर्ट के अनुसार, इस पहल के तहत चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक निजी पत्र भेजा। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस पत्र का मकसद भारत की चीन के साथ संबंधों को पुनः सुधारने की इच्छा को परखना था।

हालांकि पत्र राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजा गया था, लेकिन इसका संदेश तेजी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंच गया। इस पत्र में राष्ट्रपति शी ने अमेरिका और भारत के बीच हो सकने वाले किसी भी समझौते को लेकर चिंता जताई, जो चीन के हितों को नुकसान पहुंचा सकता था।

रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी प्रधानमंत्री ने एक स्थानीय अधिकारी का नाम भी बताया, जो बीजिंग की इस पहल का नेतृत्व करेगा। इसका मकसद भारत के साथ बेहतर संवाद और रिश्तों को सुधारना था।

प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने जून के आसपास इस चीनी पहल को गंभीरता से लेना शुरू किया। यह समय अमेरिकी व्यापार युद्ध के दौरान भी था, जब भारत और अमेरिका के बीच बातचीत चल रही थी। ट्रंप की सरकार द्वारा लगाए गए टैरिफ के खतरों के बीच, भारत को भी अमेरिका के साथ संबंधों में नये समीकरण बनाने की आवश्यकता महसूस हो रही थी।

इसके अलावा, उसी समय सीमा में भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर के पुलवामा हमले के बाद तनाव तीव्र हो गया था। पुलवामा हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिसके बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष की स्थिति बन गई थी। इस क्षेत्रीय तनाव के बीच भी ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराने में मध्यस्थता की थी।

इन सभी घटनाओं के बीच चीन की यह पहल काफी महत्वपूर्ण मानी गई। यह माना जा रहा है कि शी जिनपिंग का यह गुप्त पत्र भारत के प्रति चीन की रणनीति में एक बदलाव की शुरुआत थी, जिसमें दोनों देशों के बीच रिश्तों को सुधारने और बेहतर संवाद स्थापित करने की कोशिश की गई।

इस पहल ने भारत और चीन के बीच कई वार्ताओं को प्रोत्साहित किया और दोनों पक्षों ने कुछ विवादास्पद मुद्दों पर बातचीत शुरू की। इस बदलाव के बाद भारत-चीन संबंधों में कुछ सकारात्मक संकेत देखने को मिले, जो पहले की तुलना में अधिक सहयोगात्मक रहे।

अंततः, यह गुप्त पत्र एक ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है जिसने भारत-चीन के बीच लंबे समय से बने तनाव को कम करने और द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की दिशा में काम किया। हालांकि दोनों देशों के बीच अभी भी कई मुद्दे हैं, लेकिन इस पहल ने एक नई शुरुआत की नींव रखी।

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