एन०एस०यू०आई० के अनुसार नई शिक्षा नीति केन्द्रीकरण व शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देती है। यह शिक्षा नीति मोदी सरकार तब लाई जब पूरे देश में कोविड कहर का दौर था उद्देश्य साफ है मोदी सरकार शिक्षा को भी सिर्फ अमीरों एक सुविधा जैसा बनाना चाहती है। गरीब छात्रों के भविष्य के साथ यह सीधा खिलवाड़ है।
वहीं एसएससी, एनईईटी, जेईई जैसी तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं में घोटाले का सामने आना और युवाओं को सालों से नौकरी न देना साफ तौर पर दिखाता है कि मोदी सरकार छात्र विरोधी है.
यदि हम छात्र वर्ग के लिए कोई नीति बना रहे हैं तो हमारे कर्तव्य बनता है कि हम उनसे चर्चा करें। परन्तु वर्तमान सरकार की यह आदत बन चुकी है कि सभी कार्यों में तानाशाही के रूप में लागू करते हैं।
एन०एस०यू०आई० के हिमांशु रावत का कहना है कि जब से भाजपा की सरकार सत्ता में आई है तब से छात्रों की फैलोशिप एवं स्कालरशिप रोकी जा रही है। प्रवेश परीक्षाओं में घोटाले हो रहे हैं तथा परीक्षाओं के परिणाम देरी से आ रहे हैं जिसके कारण छात्रों के 2-3 साल बर्बाद हो गये हैं। एन०एस०यू०आई० केन्द्र एवं राज्य सरकार से मांग करती है कि –
1-प्रतियोगी परीक्षाओं में केन्द्रीय एवं राज्य स्तर पर विद्यार्थियों को आयु सीमा में कम से कम 2 वर्ष की छूट दी जानी चाहिए।
2-विगत दो वर्षों से प्रदेश के सभी महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव नहीं हो पाये हैं जिससे छात्रसंघ के पद दो वर्षों से रिक्त पड़े हैं जिससे महाविद्यालय के छात्रों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तथा जो छात्र छात्रसंघ चुनाव के लिए विगत 2-3 वर्षों से तैयारी कर रहे थे उनकी आयु सीमा समाप्त हो रही है। एन०एस०यू०आई० मांग करती है कि चुनाव लड़ने के इच्छुक छात्रों को 2 वर्ष की आयु सीमा में छूट दी जाये।
इस अवसर पर महानगर अध्यक्ष अभिषेक डोबरियाल, उदित थपलियाल,अंकित बिष्ट, वासु शर्मा, सिद्धार्थ,उत्कर्ष जैन,दिव्या, भव्या, सागर पुंडीर, नमन शर्मा,आदि मौजूद थे।