आज हम आपको एक ऐसा अस्पताल दिखाने जा रहे है जहाँ डॉ के नाम पर कुछ गिने चुने डॉ है,वही जब उत्तराखंड लाइव न्यूज़ की टीम मौके पर पहुँची तो आपको बता दे कि इमरजेंसी के नाम पर हॉस्पिटल के रूम में ताले नज़र आये, वही आपको बता दे कि इतने बड़े डिस्टिक हॉस्पिटल में कोई सफाई कर्मचारी ही नही है,उत्तराखंड बने 21 साल पूरे होने को है पर आज भी स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए तरह रहा है उत्तराखंड, आपको सुन कर हैरानी होगी कि हम अस्थाई राजधानी देहरादून से चंद किलोमीटर दूर बसी पहाड़ो की रानी मसूरी की बात कर रहे है, जी हां आप सही सुन रहे है यह अस्पताल मसूरी में एकमात्र अस्पताल है जिसमें कई गांवों के लोग अपना इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन हालात कुछ और ही बयां करते हैं।
जब उत्तराखंड लाइव न्यूज की टीम मसूरी स्थित सिविल अस्पताल में पहुंची। एक बड़ी बिल्डिंग अस्पताल के रूप में दी गई है जिसे देख कर थोड़ा सुकून मिला कि लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं तो मिल ही रही होंगी। लेकिन अस्पताल के अंदर पहुंचकर जब हालात देखें तो स्थिति काफी दयनीय थी, जहां पर हड्डी रोग विशेषज्ञ के कहीं और व्यस्त होने के कारण एक बच्चा उसका हाथ टूटा हुआ था काफी देर से तड़प रहा था उसकी मां भी रो रही थी। सुपरीटेंडेंट साहब का कहना है कि एक योजना के तहत नर्सों, आशा एवं ANM को डिलीवरी कराने की ट्रेनिंग की गई है इसलिए वह यहां पर आती है डिलीवरी कराते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने काफी बार महिला डॉक्टर के लिए प्रशासन को अवगत कराया है लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
सफाई के नाम पर भी व्यवस्था बिल्कुल चरमराई देखें आपको बता दें इस अस्पताल में एक ही सफाई कर्मी हैं जो अगर छुट्टी पर चला जाए तो डॉक्टर को अपने स्थान खुद ही साफ करने पड़ते हैं। सबसे बड़ी बात आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस अस्पताल में आईसीयू वार्ड का निर्माण भी कराया गया है। जिसकी लागत राशि 293 लाख रुपए है। लेकिन आईसीयू वार्ड को ऑपरेट करने के लिए कोई डॉक्टर ना होने के कारण उस पर ताला लगा दिया गया है यह हाल राजधानी देहरादून से चंद किलोमीटर दूर बसे मसूरी का है तो दूर दराज बसे गांव का क्या हाल होगा।