खबर उत्तराखंड के श्रीनगर से है आपको बता दे की दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का साप्ताहिक ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया,यह कथा सराफ धर्मशाला, अपर बाज़ार, श्रीनगर, गढ़वाल- उत्तराखंड में 22 सितंबर से 28 सितंबर 2024 तक की जा रही है, इस कथा में आप प्रभु के विभिन्न स्वरूपों को आध्यात्मिक ज्ञान संगीत के माध्यम से रसपान करेंगे ,इस उपलक्ष में नगर में भव्य कलश यात्रा का आयोजन किया गया।

आपको बता दें कि कलश यात्रा के समय व कथा के प्रथम दिवस पर महंत नितिन गिरी, सुरेंद्र सिंह राणा, उमा घिल्डियाल, डॉ. बीपी नैथानी समेत अन्य लोग मौजूद रहे। इस कथा में हजारों श्रद्धालुओं ने पहुंच कर कार्यक्रम का लाभ लिया।

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक ‘श्री आशुतोष महाराज जी’ की शिष्या भागवताचार्या महामनस्विनी विदुषी सुश्री आस्था भारती जी ने भागवत महात्म्य, गोकर्ण उपाख्यान, भगवान शिव द्वारा दक्षयज्ञ की पूर्ति आदि प्रसंगों का मर्म समझाया|

साध्वी आस्था भारती जी ने एक analogy को रखते हुए सुख की परिभाषा को समझाया- एक आदमी जो बहुत अमीर था, उसने hill station पर जाने का plan बनाया| उसने ऐसी boat का इंतज़ाम किया, जिसमें हर प्रकार की सुविधा हो| हर तरह का भोजन हो और उसे serve करने के लिए साथ में नौकर भी ले लिए| बस फिर क्या था! पूरा मज़ा करते हुए वह अपनी journey कर रहा था| लेकिन तभी अचानक उसके phone की घंटी बजी| Phone पर उसे अपने किसी करीबी रिश्तेदार की death का समाचार मिला| जैसे ही उसने इस दुखभरी news को सुना तो हर वह वस्तु जो अब तक उसे आनंद दे रही थी, अब उसके लिए उनका कोई माईना नहीं रहा| भोजन तो अब भी वही था लेकिन उसमें वो स्वाद नहीं रहा| सुख-साधन तो अब भी सामने थे परन्तु अब वे चाहकर भी उसे सुख नहीं दे पा रहे थे| यह analogy prove करती है कि संसार के भोग-ऐश्वर्यों में सुख नहीं है| सुख तो मनुष्य के अंतर्मन की स्थिति पर निर्भर करता है| सुख शब्द दो शब्दों के मेल से बना है| ‘सु’ अर्थात् सुंदर और ‘ख’ अर्थात् अंतःकरण| जिसका अंतःकरण सुंदर और पवित्र हो, वही वास्तव में सुखी है| मनुष्य का अंतःकरण तभी सुंदर और पवित्र हो सकता है, जब वह अपने वास्तविक स्वरूप से परिचित हो जाएगा और यह केवल अध्यात्म के द्वारा ही संभव है| श्रद्धालु भगवान के ऐसे ही सच्चे संग को सदा के लिए पाकर सांसारिक सुख-संपदा के साथ वास्तविक श्री को भी अर्जित कर लें।

आपको बता दे की दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक ‘श्री आशुतोष महाराज जी’ है।साध्वी आस्था भारती जी ने एक analogy को रखते हुए सुख की परिभाषा को समझाया-उन्होंने अनेकों उदाहरण दे कर भक्तो को असली जीवन का रहस्य बताया।साथ ही दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने सभी जनता से अपील की कि अपना कीमती समय निकालकर कथा का रसपान जरूर करे।

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