भले ही सरकारें जीरो तारलेन्स ओर सब पड़े सब बड़े के कितने ही हवा हवाई दावे कर ले लेकिन इन सबकी जमीनी हकीकत कुछ और ही बया कर रही है

मामला सीमांत जिला चमोली के दुरस्त विकासखंड पोखरी के बंगथल गांव का है जहां 2016 में आंगनबाड़ी भवन के लिए 9,50 लाख रुपये स्वीकीर्त हुए थे लेकिन आज पांच साल बीत जाने के बाद भी इस भवन की स्थिति जीर्ण शीर्ण बनी हुई है हालात इतने बत्तर है कि पूरे भवन की छत टूटने के कगार पर है और भवन की दीवारो पर इन पांच सालों में न ही पलस्तर किया गया और नही खिड़की दरवाजे लगाए गए

इस पूरे मामले को लेकर जब ऐमकेएन की टीम ग्राउंड जीरो पर गयी तो मामले की हकीकत का कुछ ओर ही खुलासा हुवा

बीओ 1 पूर्व ग्राम प्रधान पति श्याम लाल का कहना है कि इस भवन के लिए 9,50 लाख रुपये आये थे वे ग्रामीणों के साथ इस कार्य को करवा रहे थे तो ग्राम पंचायत अधिकारी ने उनको काम न करने की धमकी दी और अपने आप कार्य करवाया जो आज तक पूरा नही करवाया

बीओ 2 वही स्थानीय ग्रामीण रामप्रसाद भट्ट का कहना है कि आंगनबाड़ी के छोटे बच्चे प्राथमिक विद्यालय के एक कमरे में पड़ रहे है और वहां पर जगह न होने के कारण बच्चो को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है

बीओ3 वही बर्तमान ग्राम प्रधान ललित मिश्रा का कहना है कि उनके द्वारा भी कई बार ब्लॉक के अधिकारियों को बताया जा चुका है लेकिन सिर्फ आश्वाशन ही दिते जा रहे है

वही इस मामले पर ग्राम विकास अधिकारी देबेन्द्र रावत का कहना है कि वहाँ पर मैने भवन की छत तक का कार्य करवाया है अब आगे और किसी ग्राम विकास अधिकारी को ये काम पूरा करवाना चाहिए

फाइनल बीओ लेकिन बड़ा गम्भीर सवाल ये उठता कि जब ग्रामीनो ने आंगनबाड़ी भवन का आधे से अधिक कार्य कर दिया था तो ग्राम विकास अधिकारी ने खुद ये कार्य क्यो करवाया और आज 5 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक ये कार्य क्यो पूरा नही हुवा क्यो ग्राम विकास अधिकारी गोल मोल जबाब दे रहे ?
क्यो अपने बचाव के लिए दूसरों को दोषी ठहरा रहे है?

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