रिलायंस ग्रुप के खिलाफ ₹3,000 करोड़ ऋण घोटाले में पहली गिरफ्तारी, ईडी की बड़ी कार्रवाई
अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप की कंपनियों के खिलाफ ₹3,000 करोड़ के ऋण धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate – ED) ने अपनी पहली गिरफ्तारी की है। शनिवार को सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी ने एक कंपनी के प्रबंध निदेशक को गिरफ्तार किया है, जिन पर ₹68.2 करोड़ के फर्जी बैंक गारंटी जमा कराने का आरोप है। ये गारंटी रिलायंस पावर की ओर से सौर ऊर्जा निगम (Solar Energy Corporation of India – SECI) को सौंपी गई थीं।

यह मामला तब सामने आया जब दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offences Wing – EOW) ने इस संबंध में पहली सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की। एफआईआर में कहा गया है कि ‘बिस्वाल ट्रेडलिंक’ (Biswal Tradelink) नामक कंपनी और इसके निदेशकों ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन को ₹68.2 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी सौंपी थीं।
जांच में पता चला कि ये बैंक गारंटियां फर्जी दस्तावेजों और नकली ईमेल पुष्टि के आधार पर तैयार की गई थीं। इन ईमेल्स में एक स्पूफ्ड डोमेन ‘s-bi.co.in’ का इस्तेमाल किया गया था, जो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के असली डोमेन ‘sbi.co.in’ से बहुत मिलता-जुलता है। इस तरह से यह धोखाधड़ी काफी सुनियोजित ढंग से की गई थी, ताकि सरकारी एजेंसी को असली बैंक गारंटी का भ्रम हो।
सूत्रों ने बताया कि इस फर्जीवाड़े में इस्तेमाल किए गए दस्तावेजों और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर संबंधित व्यक्ति की भूमिका की पुष्टि होने पर ईडी ने उसे हिरासत में लिया। गिरफ्तारी के बाद आरोपी से आगे की पूछताछ की जा रही है, ताकि पता चल सके कि इस घोटाले में कौन-कौन लोग और संस्थाएं शामिल हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिस्वाल ट्रेडलिंक की स्थापना वर्ष 2019 में हुई थी और इसने कई परियोजनाओं के लिए खुद को एक वैध कंपनी के रूप में प्रस्तुत किया। लेकिन असल में, इसने फर्जी बैंक गारंटी और नकली ईमेल्स का इस्तेमाल कर सरकारी संस्था को गुमराह किया।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए ईडी आगे की जांच में तेजी लाने की तैयारी कर रहा है। माना जा रहा है कि इस घोटाले में कई अन्य कंपनियां और बड़े अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं। अब इस बात की जांच की जा रही है कि क्या रिलायंस पावर को इस फर्जीवाड़े की जानकारी थी या नहीं, और क्या उन्हें इसका कोई सीधा लाभ हुआ।

इस घोटाले ने एक बार फिर से देश में कॉर्पोरेट धोखाधड़ी और बैंकिंग क्षेत्र में फर्जीवाड़े के बढ़ते मामलों की ओर ध्यान आकर्षित किया है। जांच एजेंसियों का कहना है कि वे इस मामले में पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ कार्रवाई करेंगी, ताकि दोषियों को सख्त सजा दिलाई जा सके।