“अब इंतज़ार नहीं होता, लॉर्ड्स में बैटिंग करने का सपना” — CSK के उभरते सितारे आयुष माथरे
भारत की अंडर-19 टीम के कप्तान और चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के होनहार युवा बल्लेबाज़ आयुष माथरे ने हाल ही में क्रिकेट की दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित स्टेडियमों में से एक, लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड का दौरा किया। इस ऐतिहासिक स्थल को देखकर वह इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने कहा — “अब मुझसे इंतज़ार नहीं होता, मैं बस उस दिन का इंतज़ार कर रहा हूं जब मैं यहां आकर बल्लेबाज़ी करूं।”
आयुष माथरे को यह सौभाग्य न सिर्फ लॉर्ड्स घूमने का मिला, बल्कि उनका 18वां जन्मदिन भी लॉर्ड्स में ही मनाया गया। बीसीसीआई द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में उन्होंने इस पूरे अनुभव को बेहद खास और प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा, “यह मेरे लिए बहुत ही खास दिन है। मेरा जन्मदिन लॉर्ड्स जैसे ऐतिहासिक मैदान पर मनाया गया, यहीं के परिसर में मेरा केक कटिंग हुआ — इससे बड़ा लम्हा मेरी जिंदगी में शायद ही कोई और हो। यह पल मेरे जीवन का सबसे बड़ा और सबसे खास पल बन गया है।”

आयुष ने आगे कहा, “मैंने पहले सिर्फ टीवी पर ही लॉर्ड्स को देखा था। जब मैं यहां आया और इन दीवारों को, मैदान को, और खिलाड़ियों की तस्वीरों को देखा — तो एक अलग ही ऊर्जा महसूस हुई। अब मुझे एक ही बात बार-बार याद आ रही है — कि मुझे यहां खेलना है, और यहां बैटिंग करनी है।”
आयुष माथरे का यह सपना सिर्फ उनका व्यक्तिगत लक्ष्य नहीं है, बल्कि यह उन लाखों युवा क्रिकेटर्स की भावना को दर्शाता है जो भारत के छोटे-छोटे शहरों और गलियों से उठकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमकना चाहते हैं। लॉर्ड्स जैसे मैदान पर खेलना हर क्रिकेटर का सपना होता है, और आयुष जैसे युवा सितारे उस सपने के और भी करीब दिखाई दे रहे हैं।
चेन्नई सुपर किंग्स जैसी टीम से जुड़ने के बाद आयुष को देश-विदेश में पहचान मिलने लगी है, लेकिन उनकी विनम्रता और जज्बा साफ ज़ाहिर करता है कि वह अभी भी सीखने की प्रक्रिया में हैं और अपने लक्ष्य के लिए पूर्णतः समर्पित हैं।
आयुष की यह लॉर्ड्स यात्रा केवल एक दौरा नहीं थी, बल्कि उनके जीवन की एक प्रेरणादायक याद बन गई है, जो उन्हें लगातार बेहतर करने की प्रेरणा देती रहेगी। उन्होंने कहा, “मैं बहुत मोटिवेट महसूस कर रहा हूं और अब तो दिल करता है कि कभी भी आकर यहां बैटिंग करूं।”

युवाओं के लिए यह एक संदेश है कि बड़े सपनों को जीना तभी संभव है, जब उनमें जुनून और मेहनत की आग हो — जैसा कि आयुष माथरे में साफ दिखाई देता है।