हाल ही में टेक्नोलॉजी की दुनिया में चर्चित नाम कार्ल पेई ने भारतीय व्यंजन को लेकर एक ऐसा बयान दे दिया, जिसने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। वनप्लस के सह-संस्थापक और Nothing कंपनी के सीईओ कार्ल पेई ने X (पहले ट्विटर) पर अपनी एक पोस्ट में लिखा – “Indian food in London is better than Indian food in India.” (लंदन का भारतीय खाना, भारत के खाने से बेहतर है)। इस ‘हॉट टेक’ के साथ उन्होंने एक मलाईदार ग्रेवी वाली डिश की फोटो भी साझा की, जो संभवतः बटर चिकन रही होगी।

यह पोस्ट उन्होंने लंदन के Jamavar Restaurant में डिनर के दौरान की, जो एक प्रसिद्ध भारतीय रेस्तरां है और इसे एक मिशेलिन स्टार भी मिल चुका है। जैसे ही यह पोस्ट वायरल हुई, भारतीयों और दुनियाभर के खाने के शौकीनों ने अपनी प्रतिक्रियाएं देनी शुरू कर दीं।


🍛 स्वाद पर सवाल या विदेश का सम्मान?

कार्ल पेई के इस बयान ने दो धड़ों को जन्म दे दिया—एक वह वर्ग जो विदेशों में इंडियन फूड की गुणवत्ता, प्रेजेंटेशन और कस्टमर एक्सपीरियंस की तारीफ करता है, और दूसरा वह वर्ग जिसे लगता है कि असली स्वाद, विविधता और आत्मा केवल भारत के खाने में ही है।

भारत में सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स ने इस बयान को “असंगत” और “मार्केटिंग स्टंट” करार दिया, वहीं कुछ लोगों ने लिखा कि “कार्ल पेई ने शायद भारत के लोकल ढाबों, स्ट्रीट फूड या रीजनल किचन को कभी करीब से नहीं जाना।”


🌍 विदेशों में इंडियन फूड: असली या बदला हुआ स्वाद?

वास्तव में विदेशों में भारतीय खाना अक्सर ग्लोबल टेस्ट के हिसाब से तैयार किया जाता है। अधिक मलाई, कम मसाले, संतुलित तीखापन—ये सब कुछ वहां के ग्राहकों की पसंद को ध्यान में रखते हुए होता है। इसी वजह से कई बार “विदेशी भारतीय भोजन” असली भारतीय स्वाद से अलग हो जाता है, लेकिन वेस्टर्न ऑडियंस को अधिक पसंद आता है।

लंदन, न्यूयॉर्क, टोरंटो जैसे शहरों में भारतीय व्यंजन ने फाइन डाइनिंग की ऊंचाइयों को छुआ है। मिशेलिन स्टार पाने वाले रेस्तरां भारतीय भोजन को ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर ला रहे हैं—लेकिन इसकी कीमत भी उतनी ही ऊंची होती है।


🇮🇳 भारत का जवाब – विविधता में स्वाद की ताकत

भारत में हर 100 किलोमीटर पर खाने का स्वाद और अंदाज बदलता है—कश्मीर की रगड़ा गोश्त से लेकर बंगाल की माछ-भात, पंजाब के सरसों दा साग से लेकर तमिलनाडु के चेट्टिनाड करी तक। भारत का खाना केवल एक डिश नहीं, बल्कि एक अनुभव है।

जहां Jamavar जैसे रेस्तरां इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर भारतीय खाने का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, वहीं भारत की गलियों और घरों में तैयार होने वाले भोजन में एक आत्मा बसती है, जो शायद ग्लोबल डाइनिंग में नहीं मिलती।


🔚 निष्कर्ष

कार्ल पेई का बयान बहस छेड़ने वाला है—न कि अंतिम सच। यह उनकी व्यक्तिगत पसंद हो सकती है, लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि भारत और विदेश दोनों जगह भारतीय खाना अपनी-अपनी जगह खास है।

आखिर स्वाद केवल जीभ से नहीं, दिल और यादों से भी जुड़ा होता है। और भारत की रसोई घरों की वो खुशबू और अपनापन शायद किसी भी मिशेलिन स्टार से बड़ी चीज है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *