जम्मू-कश्मीर की धरती पर इतिहास रचा जा रहा है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले तीन दिनों में चेनाब नदी पर बने विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुल का उद्घाटन करने वाले हैं। यह पुल न केवल इंजीनियरिंग का चमत्कार है, बल्कि हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद कश्मीर को एक नई दिशा और उम्मीद देने वाला कदम माना जा रहा है। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी, जिससे पर्यटकों में भय का माहौल बन गया था और पर्यटन उद्योग को गहरा झटका लगा था।
विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे पुल
चेनाब नदी के ऊपर बना यह पुल नदी तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह ऊंचाई पेरिस के प्रसिद्ध एफिल टावर से भी 35 मीटर अधिक है और लगभग कुतुब मीनार की ऊंचाई से पांच गुना अधिक है। इस ब्रिज की कुल लंबाई 1.31 किलोमीटर है और इसे बनाने में करीब 1,486 करोड़ रुपये की लागत आई है। पुल के निर्माण में 28,660 मेगाटन स्टील (यानी 2,86,60,000 किलोग्राम) का उपयोग किया गया है, जो -10 डिग्री से 40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सहन कर सकता है।

पर्यटन को मिलेगी नई रफ्तार
यह पुल न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि इसका सीधा असर कश्मीर के पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला है। पुल के उद्घाटन के साथ ही कटरा से श्रीनगर के बीच वंदे भारत ट्रेन सेवा शुरू की जाएगी। यह सेवा कश्मीर को शेष भारत से जोड़ने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है। आतंकी हमलों से डरे पर्यटकों को अब बेहतर सुरक्षा, सुविधा और पहुंच का भरोसा मिलेगा, जिससे पर्यटन में नई जान आ सकती है।
20 वर्षों की मेहनत का नतीजा
यह ब्रिज ‘उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक परियोजना’ का हिस्सा है। इसकी मंजूरी 2003 में दी गई थी, और दो दशकों की कठिन इंजीनियरिंग और निर्माण चुनौतियों के बाद इसे आज पूरा किया गया है। सरकार का दावा है कि यह भारत के किसी भी रेलवे प्रोजेक्ट के लिए अब तक की सबसे बड़ी सिविल इंजीनियरिंग चुनौती रही है।
कश्मीर की नई पहचान
इस पुल के निर्माण से न केवल जम्मू-कश्मीर के दूरस्थ क्षेत्रों में परिवहन की सुविधा बढ़ेगी, बल्कि यह पुल भारत की इंजीनियरिंग क्षमता और संकल्प का प्रतीक भी बनेगा। कश्मीर की भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक संरचना में यह पुल एक नई धारा का संचार करेगा।
निष्कर्ष

पहलगाम हमले जैसी घटनाएं जब पूरे देश को झकझोर देती हैं, तब ऐसे विकास कार्य उम्मीद की किरण बनकर सामने आते हैं। चेनाब ब्रिज का उद्घाटन केवल एक पुल का खुलना नहीं है, यह एक मजबूत, जुड़ा और विकसित कश्मीर की दिशा में बढ़ाया गया अहम कदम है – जो आतंक की छाया से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है।