देहरादून में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से किए जा रहे सात दिवसीय शिव कथा अमृत आयोजन में माता पार्वती जन्म उत्सव को बड़े धूमधाम के साथ मनाया गया। महाराज हिमवान व महारानी मैना ने आदिशक्ति जगदंबिका की आराधना कर उन्हें पुत्री स्वरूप में पाने का वरदान मांगा। माता सती जो पूर्व जन्म में देह त्याग से पहले के भगवान शिव से यह प्रार्थना करती हैं कि मैं अगले जन्म आपकी ही सेविका बनकर जन्म हूं। उसी प्रार्थना के फल स्वरुप माता सती पार्वती के रूप में महाराज हिमवान के घर कन्या के रूप में जन्म लेकर आई। भगवान महाराज ने पुत्री के जन्म की खुशी में असंख्य गायों का दान किया।
हमारी भारतीय संस्कृति में प्रत्येक खुशी के अवसर पर गोदान की परंपरा रही है। गोदान से बढ़कर और कोई भी उत्तम दान नहीं कहा जाता है, क्योंकि भारतीय नस्ल की देसी गाय हैं वह गोवंश धरा का सबसे अमूल्य धन है। इसीलिए प्राचीन समय में विवाह शादी में दहेज में गाय की देने की प्रथा थी। यज्ञ के अंदर यजमान यज्ञकर्ता को गाय दान किया करता था। विद्यार्थी गुरु को दक्षिणा के स्वरूप में गाय दिया करते थे। भारतीय नस्ल की जो देसी गाय हैं वह भारत देश की आर्थिक समृद्धि, पर्यावरण संरक्षण, कृषि में अन्न उत्पादन, मानव के स्वास्थ्य रक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है। इसीलिए संत अरविंदु जी कहते हैं कि गाय अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष इन समस्त पदार्थों को प्रदान करने वाली कामधेनु के समान है। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से कामधेनु प्रकल्प देसी गाय के संवर्धन व संरक्षण के उद्देश्य से चलाया जा रहा है। जिसके तहत असंख्य गोशालाएं हैं जहां पर भारतीय नस्ल की देसी गांव को बड़ी संख्या में पाया जा सकता है।
भगवान शिव के द्वारा की गई कामदहन की लीला आज युवाओं के मन में उठने वाली कामनाओं में वासनाओं को मिटाकर एक चरित्रवान व्यक्तित्व को प्राप्त करने के लिए संकेत करते हैं। आज वासनाओं के कारण हमारे समाज में नारी शोषण के जैसी घटनाओं का स्तर बढ़ता चला जा रहा है। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी ब्रह्मज्ञान को प्रदान कर भगवान शिव के समान दोनों आंखों के मध्य भृकुटी में स्थित उसने अग्नि नेत्र को उजागर कर युवाओं के भीतर उठने वाले इन वासनाओं के ऊपर अंकुश लगाने का कार्य कर रहे हैं। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के साथ युवा परिवार सेवा समिति के नाम से परिवर्तित हो चुके युवाओ के माध्यम से आज नुक्कड़ नाटक व रैली के माध्यम से पंजाब क्षेत्र में इन अश्लील अभद्र गानों को बंद करवाने के लिए मुहिम चलाई गई। नशा मुक्त करने के लिए बोध नामक प्रकल्प चलाया जा रहा है। जिसका उद्देश्य है नशा उन्मूलन, युवा परिवार सेवा समिति के सदस्य आज समाज में कोने कोने में फैले नशे रूपी बुराई को मिटाने के लिए प्रयासरत हैं।