कार्तिकेय ने किया तारकासुर का वध
भगवान शिव व माता पार्वती के विवाह के पश्चात उनके पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया। जिसने ब्रह्म देव से वरदान प्राप्त कर रखा था यदि मेरी मृत्यु हो तो शिवपुत्र के हाथों। ताड़कासुर का वध में समस्त देवों ने कुमार का सहयोग किया। भगवान शिव कुमार कार्तिकेय को उपदेश देते हुए कहते हैं- पुत्र संगठित होकर के जिस प्रकार आप सभी ने तारकासुर का वध किया ठीक इसी प्रकार समाज के लोग यदि एकता के सूत्र में बंध जाएं तो आज बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। संगठन शक्ति के बल पर ही बृहद से बृहद क्रांतियों को उद्घाटित किया जा सकता है।
आशुतोष महाराज जी कहते हैं अनेकता में एकता का दर्शन करने के लिए, समाज को एकता के सूत्र में बांधने के लिए ब्रह्म ज्ञान ही केवल मात्र एक युक्ति है। ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त कर जब मानव आत्मिक रूप से जागरूक होगा, तभी प्रत्येक जीव के भीतर उसे ईश्वर का साक्षात्कार कर पाएगा। तभी उसके भीतर बंधुत्व का भाव जागेगा। फिर भी संगठित होकर सभी मानव समाज कल्याण के कार्य के लिए आगे बढ़ पाएंगे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में बृजभूषण गैरोला, माननीय विधायक डोईवाला एवं पूर्व राज्य मंत्री, उत्तराखण्ड सरकार, रमेश चन्द्र गढ़िया, राज्यमंत्री, उत्तराखण्ड सरकार, डॉ. राकेश कुमार जोशी, फ्रोफेसर, रसायन विज्ञान ऋषिकेश, एडवोकेट राकेश गुप्ता मेंबर ऑफ बार काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड सम्मिलित हुए।
साध्वी जी ने कथा के माध्यम से शिव भक्तों को गणेश जी की उत्पति कथा को सुनाया।
भगवान शिव और माता पार्वती की परिक्रमा कर संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा के समान बताते हुए गणेश जी ने समाज को मातृ देवो भव पितृ देवो भव का सुंदर संदेश दिया। इस समाज को सुंदर भारतीय संस्कारों से सुसज्जित होने की प्रेरणा दी। आज हमारे समाज को अपने भारतीय संस्कृति के अनुसार उन नैतिक मूल्य व संस्कारों से सज होने की आवश्यकता है। जिन संस्कारों के अभाव में हमारे समाज का स्वरूप विकृत होता चला जा रहा है। भारत के पुनरुत्थान के लिए हमें अपने भारतीय संस्कृति की ओर अग्रसर होना होगा। दम तोड़ती हुए मानवता के उत्थान का मार्ग केवल अध्यात्म के पास है।
अध्यात्म को अपनाकर ही हम प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को सुंदर संस्कारों से सुसज्जित कर एक सभ्य मानव के रूप में परिवर्तित कर सकते हैं। सर्व आशुतोष महाराज आज समाज के प्रत्येक व्यक्ति को नैतिक मूल्य प्रेम, दया, सहिष्णुता, मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, अतिथि देवो भव इत्यादि सुंदर गुणों से सुसज्जित करने के लिए ब्रह्म ज्ञान को प्रदान कर मानव के जीवन को परिवर्तित करने का कार्य कर रहे हैं। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान उस ब्रह्म ज्ञान के लिए समाज का आवाहन कर रहा है।