अयोध्या के नवनिर्मित श्रीराम मन्दिर में प्रभु के नूतन विग्रह के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के उपलक्ष्य में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने वैश्विक स्तर पर अपने आश्रमों में दीपमालाएं की। 21 जनवरी को रविवार के दिन संस्थान द्वारा विश्व भर में आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गए जिनकी थीम रही ‘अब हृदय मन्दिर के धाम भी प्रतिष्ठा करेंगे श्रीराम की’। इन समागमों में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के विद्वत शिष्य व शिष्याओं ने सारगर्भित सत्संगों एवं सुमधुर भजनों के माध्यम से श्रीराम के जीवन दर्शन का गरिमामयी व्याख्यान प्रस्तुत किया। इसी के चलते, संस्थान के ऑफिशियल यूट्यूब चैनेल DJJSWORLD पर भी कई मंत्रमुग्ध कर देने वाले विशेष श्रीराम भजन डाले गए। 22 जनवरी को संस्थान के आश्रमों में ‘ग्लोबल ध्यान ऑवर’ नामक ब्रह्मज्ञान आधारित ध्यान सत्र का आयोजन रखा गया है। ब्रह्मज्ञान, अंतर्जगत में ईश्वर दर्शन की वही सनातन पद्धति है जिसका वर्णन वेदों, उपनिषदों, भगवद् गीता, रामचरितमानस इत्यादि ग्रंथों में है। इस विश्व स्तरीय ध्यान सत्र में संस्थान के देश विदेश में स्थित अनुयायी, राम राज्य की अखण्ड स्थापना की कामना करते हुए, यथासंभव अपने निकट के आश्रम में जाकर या फिर घर में ही ब्रह्मज्ञान आधारित ध्यान साधना करेंगे और विश्व कल्याण हेतु इस दिव्य ऊर्जा को आहूत करेंगे।


इस अवसर पर दिव्य गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या तथा देहरादून आश्रम की प्रचारिका 70 इंदिरा गांधी मार्ग निरंजनपुर संयोजक साध्वी विदुषी अरूणिमा भारती ने बताया कि ‘आज श्रीराम के अयोध्या आगमन पर हर ओर आनंद की लहर है, जो दर्शाती है कि भारत की आत्मा पर आज भी श्रीराम अंकित हैं। जिन्होंने भी मन्दिर निर्माण में बलिदान दिए और अपने जीवन आहूत किये, आज उनके संघर्षों का संस्मरण दिवस भी है। इस नवनिर्मित मन्दिर की नींव किसी ईंट या गारे से नहीं बनी, बल्कि इसमें लाखों-करोड़ों राम भक्तों के वर्षों का तप, प्रेम, प्रतीक्षा, प्रार्थना व श्रद्धा समाहित है।


जो लोग श्री राम को केवल काल्पनिक पात्र भर कहते थे, उन्हें आज समझना होगा कि श्रीराम सनातन सत्य हैं! दिव्य गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी कहते हैं कि ‘हिटलर, मुसोलिनी हुए कि नहीं, एक बार के लिए इस बात पर संशय किया जा सकता है। लेकिन श्रीराम हुए थे, ये बात सत्य थी, सत्य है और सत्य ही रहेगी। इस सत्य व इससे जुड़ी जीवन-गाथा की थाह लेने के लिए आपको ‘दिव्य दृष्टि’ की आवश्यकता है। यह दिव्य अंतरदृष्टि श्रीराम के अस्तित्व का सबसे अकाट्य प्रमाण है।‘


दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान पिछले चार दशकों से श्रीराम कथा के भव्य आयोजनों से श्रीराम के आदर्शों की सुरभि समाज में चतुर्दिक फैला रहा है। 1980 के दशक में जब दिव्य गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी ने संस्थान की नींव रखी, तब जो उद्घोष बुलन्द किया, वह था ‘जय श्रीराम’! गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में श्रीराम की वास्तविक भक्ति की ओर इंगित करते हुए कहा ‘राम भगति चिंतामनि सुंदर। बसइ गरुड़ जाके उर अंतर। परम प्रकाश रूप दिन राती। नहिं कछु चहिअ दिआ घृत बाती। ‘उल्लेखनीय है, दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी ने श्रीराम की उसी भक्ति को विश्व भर के करोड़ों साधकों के जीवन में सिद्ध किया। ब्रह्मज्ञान की दीक्षा के द्वारा आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के घट में श्रीराम का साक्षात दर्शन करवा उनके हृदयों को अयोध्या सम पावन कर दिया। जिस प्रकार आज श्रीराम के बाह्य अयोध्या आगमन पर हम उल्लसित हैं, ऐसे ही जब ब्रह्मज्ञान द्वारा श्रीराम का आगमन हमारे हृदय मन्दिर में भी होगा तब निश्चित ही धरा पर राम-राज्य स्थापित हो जाएगा। इसी राम-राज्य की स्थापना के लिए संस्थान कटिबद्ध है।


इसलिए संस्थान के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से बहुत ही दिव्य, सुरबद्ध भजन, नृत्य नाटिकाएं, श्रीराम की संस्कृति, परंपरा, आदर्शों व मर्यादाओं को दर्शाते विशेष व्याख्यान भी रिलीज किए गए हैं। साथ ही, संस्थान पिछले चार दशकों से जो श्रीराम कथाओं के भव्य आयोजन विश्व भर में करता आ रहा है, उनके सुंदर, भावमय, सारगर्भित अंश भी संस्थान के सोशल मीडिया हैंडल्स पर निकाले गए हैं।


इस उपलक्ष्य पर संस्थान का प्रतिनिधित्व करते हुए अंतर्राष्ट्रीय सचिव, स्वामी नरेन्द्रानंद जी ने अभिवादन संदेश में विश्व भर में स्थित श्रीराम भक्तों, कार्यकर्ताओं एवं दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के अनुयायियों को बधाई दी तथा श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान को श्रीराम मंदिर स्थापना समारोह में आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद किया। स्वामी नरेन्द्रानंद जी ने बताया कि ‘इस पावन अवसर पर संस्थान की ओर से संस्थान की विभिन्न शाखाओं का संचालन कर रहे संत समाज की उपस्थिति रहेगी।‘ तत्पश्चात स्वामी जी ने अपने श्रद्धेय दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के संकल्प को दोहराया ‘राम राज्य साकार हो उठे कलयुग सतयुग बन जाये। ऐसी कृपादृष्टि कर दो प्रभु स्वर्ग धरा पर आ जाये।‘ उन्होंने बताया कि ये पंक्तियाँ वास्तव में एक विशेष भजन का मुखड़ा हैं जिसमें दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी ने राम राज्य की स्थापना का एक अद्भुत दर्शन प्रदान किया है। और महाराज जी की आज्ञा से पिछले चार दशकों से ही इस भजन का गायन संस्थान द्वारा आयोजित आध्यात्मिक कार्यक्रमों में नियमित रूप से किया जाता है तथा संस्थान द्वारा टेलीकास्ट और वेबकास्ट किये जाने वाले सभी कार्यक्रमों में इसे मोंटाज के रूप में प्रथम स्थान पर चलाया जाता है। अपने अंतिम उदगार में स्वामी जी ने पुनः सभी को शुभकामनायें दी और कहा कि ‘आज भारतीय संस्कृति, जो सनातन है, उसकी स्थापना की ओर एक विशेष कदम बढ़ा है। श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में भगवान श्रीराम के नूतन विग्रह की स्थापना से हम राम युग की ओर प्रवेश कर चुके हैं। लेकिन अब पूर्ण रूप से राम युग की स्थापना हो, इसके लिए हम अपने अंतर जगत में भी श्रीराम का दर्शन व साक्षातकार करें और उन्हें अपने हृदय में भी स्थापित करें। इसलिए हम लक्ष्य रूप में कहते हैं, ‘‘अब हृदय मंदिर के धाम भी, प्रतिष्ठा करेंगे श्री राम की!

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