भारत एक विविधतापूर्ण संस्कृति वाला देश है, जहाँ हर दिन कोई न कोई पर्व या व्रत मनाया जाता है। 12 फरवरी 2025 को भी देशभर में कई महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव मनाए जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि आज कौन-कौन से पर्व मनाए जा रहे हैं और उनका धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है।
- गुरु रविदास जयंती
महत्व:
गुरु रविदास जयंती संत रविदास जी की स्मृति में मनाई जाती है। वे 15वीं-16वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध संत, समाज सुधारक और कवि थे, जो भक्ति आंदोलन से जुड़े थे। उन्होंने जाति-पाति और सामाजिक भेदभाव का विरोध किया और आध्यात्मिक समानता का संदेश दिया।

इस दिन उनके अनुयायी विशेष रूप से पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में भव्य शोभायात्रा निकालते हैं।
रविदास मंदिरों में विशेष कीर्तन, भजन और सत्संग का आयोजन होता है।
अमृतसर के श्री गुरु रविदास जन्मस्थान मंदिर (संत नगर, सीर गोवर्धनपुर, वाराणसी) में विशाल भंडारे और लंगर का आयोजन होता है।
श्रद्धालु गंगा स्नान कर गुरु जी के विचारों का स्मरण करते हैं।
शिक्षा:
गुरु रविदास जी ने अपने दोहे और भजनों के माध्यम से समाज को प्रेम, भाईचारे और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उनका सबसे प्रसिद्ध दोहा है—
“मन चंगा तो कठौती में गंगा”,
जिसका अर्थ है कि यदि मन पवित्र है तो कहीं भी भगवान की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
- माघ पूर्णिमा
धार्मिक महत्व:
माघ पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की अंतिम पूर्णिमा होती है और इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान, और व्रत का विशेष महत्व होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, कृष्णा और कावेरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है।
विशेष रूप से प्रयागराज (त्रिवेणी संगम), वाराणसी, हरिद्वार और नासिक में लाखों श्रद्धालु पुण्य स्नान करते हैं।
इस दिन दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है, जैसे कि तिल, गुड़, कंबल, वस्त्र, और भोजन का दान।
तीर्थस्थलों पर माघी पूर्णिमा मेला आयोजित होता है।
इस दिन भगवान विष्णु, हनुमान और शिव की पूजा की जाती है।
पौराणिक कथा:
माना जाता है कि देवता इस दिन पृथ्वी पर गंगा स्नान करने आते हैं, इसलिए जो भी व्यक्ति इस दिन गंगा स्नान करता है, उसे दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
- कुंभ संक्रांति
धार्मिक महत्व:
कुंभ संक्रांति वह दिन है जब सूर्य देव मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं। यह परिवर्तन वैदिक ज्योतिष के अनुसार महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन से विशेष पूजा-पाठ, दान और ध्यान करना शुभ होता है।
इस दिन भगवान सूर्य की विशेष पूजा की जाती है।
लोग गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य प्राप्त करते हैं।
दान-पुण्य करने का महत्व अधिक होता है, खासकर गुड़, तिल, चावल, ऊनी वस्त्र, और भोजन दान।
सूर्य मंत्रों का जाप करना और गरीबों को भोजन कराना लाभकारी माना जाता है।
- महाकुंभ मेला (माघ पूर्णिमा स्नान – विशेष स्नान दिवस)
स्थान: प्रयागराज (इलाहाबाद), उत्तर प्रदेश
महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है और यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है। 2025 में प्रयागराज में महाकुंभ मेला चल रहा है और 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा के अवसर पर विशेष स्नान दिवस (अमृत स्नान) आयोजित किया गया है।
महत्व:
महाकुंभ में साधु-संत, नागा बाबा और लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाते हैं।
इस दिन स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
कुंभ मेले में अखाड़ों की पेशवाई और साधुओं के धार्मिक अनुष्ठान देखने योग्य होते हैं।
संगम क्षेत्र में गंगा आरती, हवन, भजन-कीर्तन और धार्मिक प्रवचन आयोजित किए जाते हैं।
पौराणिक कथा:
मान्यता है कि जब समुद्र मंथन हुआ, तब अमृत कलश को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने उसे चार स्थानों पर गिराया—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेला आयोजित किया जाता है।
निष्कर्ष:
12 फरवरी 2025 को भारत में गुरु रविदास जयंती, माघ पूर्णिमा, कुंभ संक्रांति और प्रयागराज में महाकुंभ मेले का विशेष स्नान मनाया जा रहा है। यह दिन आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर उन लोगों के लिए जो धर्म, श्रद्धा, और अध्यात्म में रुचि रखते हैं।

आज के दिन किए गए पुण्य कार्य, दान और पूजा-पाठ से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। आप भी अपनी आस्था के अनुसार इन त्योहारों का हिस्सा बन सकते हैं और पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। 🚩✨