गौतम गंभीर और BCCI अब ‘पसंद-नापसंद’ संस्कृति पर लगाम लगाने को तैयार: रिपोर्ट

भारतीय क्रिकेट में लंबे समय से चली आ रही ‘मेगा स्टार’ संस्कृति अब खत्म होने की कगार पर है। भारतीय टीम के नए मुख्य कोच गौतम गंभीर और चयन समिति के प्रमुख अजीत अगरकर अब इस पर सख्ती से कदम उठाने के मूड में हैं। इंग्लैंड दौरे पर मोहम्मद सिराज जैसे खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन ने इस दिशा में उन्हें एक मजबूत आधार दिया है।
इंग्लैंड के खिलाफ हाल ही में खत्म हुई पांच टेस्ट मैचों की सीरीज 2-2 की बराबरी पर खत्म हुई, जिसे भारतीय टीम के लिए काफी सराहनीय प्रदर्शन माना जा रहा है। इस सीरीज में टीम ने जिस समर्पण और सामूहिकता का परिचय दिया, उसने टीम प्रबंधन को यह सोचने पर मजबूर किया कि अब हर खिलाड़ी को एक समान समझा जाना चाहिए।
गौतम गंभीर पहले से ही इस बात के खिलाफ रहे हैं कि कुछ बड़े नाम वाले खिलाड़ियों को टीम में विशेष दर्जा दिया जाए और उन्हें मनचाहे मैच खेलने की छूट दी जाए। उन्होंने हमेशा यह मान्यता रखी है कि भारतीय क्रिकेट में व्यक्तिगत से ऊपर टीम को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। अब ऐसा माना जा रहा है कि बोर्ड और चयन समिति दोनों ही इस पर एकमत हो चुके हैं कि अब ‘पसंद-नापसंद’ वाली संस्कृति को खत्म करना जरूरी हो गया है।
सूत्रों के अनुसार, अब यह तय किया गया है कि कोई भी खिलाड़ी “वर्कलोड मैनेजमेंट” के नाम पर अपनी सुविधा के अनुसार सीरीज नहीं चुन सकेगा। आने वाले समय में हर खिलाड़ी को चयन के लिए उपलब्ध रहना होगा और टीम की जरूरत के हिसाब से मैदान पर उतरना होगा, न कि अपनी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के अनुसार।
इस फैसले से यह भी साफ संकेत जाता है कि अब टीम इंडिया में “सभी खिलाड़ी बराबर” की नीति अपनाई जाएगी। चाहे कोई कितना ही बड़ा नाम क्यों न हो, उसे बाकी खिलाड़ियों के समान ही देखा जाएगा। गौतम गंभीर और अजीत अगरकर का मानना है कि अगर भारतीय क्रिकेट को अगले स्तर पर ले जाना है, तो इस तरह की सख्ती और स्पष्टता बेहद जरूरी है।
मोहम्मद सिराज, जसप्रीत बुमराह और कुछ अन्य खिलाड़ियों ने पूरे इंग्लैंड दौरे पर बिना किसी शिकायत के खेला और प्रदर्शन किया। इससे यह भी साबित हुआ कि अगर प्रतिबद्धता हो, तो खिलाड़ी लगातार खेल सकते हैं और अच्छा प्रदर्शन भी कर सकते हैं।
अब देखना यह होगा कि BCCI इस नीति को कितनी प्रभावशाली ढंग से लागू कर पाती है और क्या बड़े नाम वाले खिलाड़ी इस बदलाव को स्वीकार करते हैं या नहीं। लेकिन इतना तय है कि भारतीय क्रिकेट अब एक नई दिशा में बढ़ने को तैयार है — जहां टीम पहले होगी, नाम बाद में।
