टांडा रेंज में पाये गये हिमालयन गिद्धों के झुंड,अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हिमालयी गिद्धों को
लेकर अच्छी खबर है। इस प्रजाति के गिद्धों के कई झुंड तराई केंद्रीय वन प्रभाग के टांडा रेज में पाये गये हैं। एक दशक से भी अधिक समय बाद टांडा रेंज में हिमालयी गिद्ध दिखने से वन महकमा बेहद उत्साहित है।
वहीं वन क्षेत्राधिकारी अजय लिंगवाल ने बताया कि हिमालयी प्रजाति के गिद्धों के झुंड तराई केंद्रीय वन प्रभाग के टांडा रेंज में पाये गये हैं। उन्होंने बताया कि पारिस्थितिक संतुलन के लिए गिद्धों को महत्वपूर्ण माना जाता है। गिद्ध मुर्दाखोर पक्षी होते हैं और मृत पशुओं में भोजन तलाशते हैं। इसीलिए इन्हें प्रकृति का सफाई कर्मी भी कहा जाता है। तकरीबन एक दशक पहले तराई भावर में गिद्धों की तादाद अच्छी खासी थी। लेकिन मवेशियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली प्रतिबंधित दवा डाइक्लोफेनेक और दूध बढ़ाने के लिए लगाए जाने वाले ऑक्सोटोसिन ने गिद्धों के अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया। इस दवा से उपचारित पशु को खाने पर किडनी में असर पड़ने से कई गिद्धों की मौत हो गई थी। जिसके बाद वन महकमे द्वारा आसपास के गूजर और किसानों को समझाया गया कि वह पशुओं के उपचार आदि में इस तरह की दवाओं का इस्तेमाल ना करें। जिसके बाद अब तराई में फिर से गिद्धों की आमद पायी गई है। इतनी बड़ी संख्या में टांडा रेंज में गिद्धों का पाया जाना वनों के अच्छे स्वास्थ्य की ओर संकेत करता है।

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