“क्या हम अपनी अर्थव्यवस्था बंद कर दें?” – रूस से तेल खरीद पर भारत के राजदूत का करारा जवाब
भारत ने रूस से तेल आयात करने पर पश्चिमी देशों की आलोचना का स्पष्ट और दृढ़ उत्तर दिया है। ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी ने कहा है कि भारत जैसी विशाल अर्थव्यवस्था के लिए अपने ऊर्जा स्रोतों को अचानक रोक देना संभव नहीं है। उन्होंने यह भी इंगित किया कि जो देश भारत की रूस से तेल खरीद की आलोचना कर रहे हैं, वही देश आज भी रूस और अन्य विवादित राष्ट्रों से दुर्लभ खनिज और ऊर्जा संसाधन खरीद रहे हैं।
ब्रिटिश रेडियो चैनल टाइम्स रेडियो को दिए गए एक साक्षात्कार में दोरईस्वामी ने कहा, “क्या हम अपनी अर्थव्यवस्था को बंद कर दें? हमारे पास 1.4 अरब की आबादी है, और हमें अपनी आर्थिक और ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करना ही होगा।” यह बयान ऐसे समय पर आया है जब रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं, और भारत सहित अन्य देशों पर रूस से व्यापार न करने का दबाव बनाया जा रहा है।
रूस से तेल आयात पर भारत का रुख

भारत, जो कि विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है, पारंपरिक रूप से मध्य पूर्व के देशों से तेल खरीदता रहा है। लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद जब रूस पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगाए, तो मॉस्को ने अपनी ऊर्जा आपूर्ति को बनाए रखने के लिए काफी रियायती दरों पर तेल बेचना शुरू किया। भारत ने इस मौके का लाभ उठाते हुए रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदना शुरू कर दिया। इससे भारत को न केवल विदेशी मुद्रा की बचत हुई, बल्कि देश में ईंधन की महंगाई पर भी अंकुश लगा।
दोरईस्वामी ने यह भी जोड़ा कि भारत अपनी राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है। उन्होंने कहा, “हर देश को अपनी जनता के लिए निर्णय लेने होते हैं। भारत भी यही कर रहा है।”
पश्चिमी देशों का दोहरा रवैया
भारत के उच्चायुक्त ने इंग्लैंड और यूरोपीय देशों की आलोचना करते हुए कहा कि वे स्वयं रूस से दुर्लभ खनिज, गैस और अन्य संसाधनों की खरीद कर रहे हैं, जबकि भारत को उपदेश दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय रिश्तों में निष्पक्षता और तर्कसंगत सोच जरूरी है। यदि एक देश के लिए कुछ उचित है, तो वही नियम अन्य देशों पर भी लागू होने चाहिए।
निष्कर्ष

भारत ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता को सर्वोपरि मानता है। विक्रम दोरईस्वामी का यह बयान न केवल भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत किसी के दबाव में नहीं आता। रूस से सस्ती दरों पर तेल खरीद कर भारत अपने नागरिकों के हितों की रक्षा कर रहा है — और यही एक जिम्मेदार सरकार की पहचान होती है।