1 जून 2025 को ताजिकिस्तान के दुशांबे में आयोजित पहले संयुक्त राष्ट्र ग्लेशियर सम्मेलन के दौरान भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ द्वारा सिंधु जल संधि पर दिए गए बयान पर कड़ा विरोध जताया। भारतीय पर्यावरण राज्यमंत्री किर्ती वर्धन सिंह ने पाकिस्तान पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि पाकिस्तान खुद इस संधि का उल्लंघन कर रहा है और आतंकवाद को बढ़ावा देकर इसके क्रियान्वयन में बाधा डाल रहा है।

शहबाज़ शरीफ ने शुक्रवार को कहा था कि पाकिस्तान, भारत को सिंधु जल संधि को निलंबित करने और “रेड लाइन” पार करने की इजाजत नहीं देगा। उन्होंने भारत पर “संकीर्ण राजनीतिक फायदे” के लिए लाखों लोगों की जिंदगी खतरे में डालने का आरोप लगाया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर कहा कि पाकिस्तान इस मंच का दुरुपयोग कर रहा है और ऐसे मुद्दे उठा रहा है जो सम्मेलन के विषय से संबंधित नहीं हैं।

भारत ने स्पष्ट किया कि सिंधु जल संधि को लेकर मौजूदा परिस्थितियाँ 1960 के समय की तुलना में पूरी तरह बदल चुकी हैं। मंत्री ने कहा कि तकनीकी प्रगति, जनसंख्या में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन और सबसे अहम, सीमा पार से हो रहे निरंतर आतंकवादी हमले — इन सभी कारकों के चलते संधि की वर्तमान उपयोगिता और प्रावधानों की पुनः समीक्षा आवश्यक हो गई है।

भारत ने इस बात पर जोर दिया कि संधि का उद्देश्य सौहार्द और आपसी विश्वास पर आधारित था, लेकिन पाकिस्तान की ओर से लगातार हो रही आतंकवादी गतिविधियाँ इस विश्वास को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा रही हैं। मंत्री ने कहा, “पाकिस्तान को दूसरों पर आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। वह खुद संधि का उल्लंघन कर रहा है।”

ज्ञात हो कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए, जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना भी शामिल है। यह कदम भारत द्वारा पाकिस्तान को सख्त संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है।

सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक समझौता है, जो दोनों देशों के बीच सिंधु नदी प्रणाली के जल के बंटवारे को नियंत्रित करता है।

तीन दिवसीय यह ग्लेशियर सम्मेलन, जिसका आयोजन संयुक्त राष्ट्र द्वारा किया गया है, शनिवार को समाप्त होगा। इसका उद्देश्य ग्लेशियरों की सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को रेखांकित करना और वैश्विक जल संकट की चुनौतियों का समाधान खोजना है। इसमें 80 से अधिक सदस्य देशों और 70 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 2,500 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि भारत अब पाकिस्तान द्वारा बार-बार आतंकवाद को नीति के रूप में इस्तेमाल करने पर चुप नहीं बैठेगा, और वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट रूप से रखेगा।Tools

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